आर्य सन्देश | Aarya Sandesh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Aarya Sandesh  by महर्षि दयानंद सरस्वती -maharshi dayanand saraswati

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about दयानंद सरस्वती - Dayanand Saraswati

Add Infomation AboutDayanand Saraswati

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
११ तबम्वर' ८४ साप्ताहिक आये पदेश छः एक सामधिक ग्रन्थ तुफान के दौर से पजाब तूफान के दौर से पजाब--लेखक श्री क्षितीश वदालक।र प्रकाशक दि वर्ड पब्लिकेदान्स ८०७।९५ नेहरू प्लेस, नई दिल्‍ली १९ । पृष्ठसख्या २२०, अजिल्द का मूल्य ४८) । यह तथ्य है कि सतलुज से शेवर तक ओर लहाख से सि घु की सीमाआ तक फना विस्तृत सुमाग का ४० वर्ष का खालता राज केवल दस वष की अल्पाविधि में विदेशी षडयन्त्र निहित स्वार्थों पारस्परिक फूट के कारण ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन ही गया था । सालसा राज के खत्म होते हो समस्त सिख सेनिको को निहत्या करके वेतन देकर घरो पर दापत पवकी छुट्टी पर भेज दिया गया, दूसरे सेना मे सिखो की भर्ती बन्द कर दो गई तीसरे सिखो ने बिना किसी विराध के हथियार डाल दिए । कुछ ही वर्षों से बेरोजगार खालसा सेनिक सिखो के समूह बेतरतीब घूमने लगे। उस समय सर जान लारस भोर साइ उलहोजी न दमन की अपेक्षा सुविधा देकर खालसा सिख सेनिकों को विद्राही पुरबियों भोर मुस्लिम से निका के विरुद्ध प्रतिशोध की भावना से भर दिया । जागीरो और पे झशनो के आश्वासन से वे फिरगियों के हाथ के खिलौने बन गए, उन्होने आजादी की लडाई में श्रय जो का साथ दिया । बात बडी अटपटी लगती है परन्तु है सो टके सच्ची कि महाराजा रणजीत सिंह के खालसा राज को समाप्त करने वाला लाड ढलहौजी जूते पहनकर स्वणमन्दिर गया था और उसके स्वागत मे वहा दीवाली मनाई गई थी स्वणमन्दिर की चाबिया अप्र जो को सौप दी गई थी सिंह सभा का सदस्य एक अ्रम्र ज हो सकता था परन्तु सहजधारी हिन्दू नही, सन १८५७ क॑ स्वत त्रता युद्ध में भ्रप्र जो के विरुद्ध लोह्दा लेने वालो का गद्दार कहा गया था गोरक्षा के लिए प्राण न्योछावर करने वाले नामधारी कूकाआ को पथ- अष्ट कहा गया । पिछले जून मास में पाकिस्तान,अमेरिका कनाडा और ब्रिटेन स्थित तत्वा के सहयोग से भारत के पढिचमोत्तर क्षत्र से खलिस्तान बनाने का षडय त्रपनप रहा था। विगत ३ वर्षों से पजाब मे हृप्याओ, डकंतियो, लटमार और अराजकता का नग्न नू य प्रचलित था पडयन्त्र एव इन काण्डो से त्रस्त होकर के द्रीय सरकार को वहा आपरेशन «लू स्टार करना पडा । आपरेशन के फलस्वरूप वह घडयन्त्र तो अक्ारथ गया पंजाब में परिवसन का नया माहौल आया । इस घटनाचफक्र के बावजूद आतकवादियों ने सुरक्षा सेनिको के माध्यम से उन्दे मरमाकर ३१ अक्तूबर के दिन भारत की लोकप्रिय प्रधानमव्त्री की डृत्या करवा दी है । पिछले वर्षों मे पंजाब तूकान के भीषण दौर से गुजरा है उस दौर की भीषण श्रतिक्रिया प्रधान मत इन्दिरा जी की हू प। से भारतोप राष्त को भी सहनी पडो है, यजाब की यह सारी समस्या क्या है उसकी पृष्ठभूमि किन तत्त्वो ने तैयार की है, और उनका समुचित समाधान क्या हो सकता है इस सबका सामरिक विवेचन प्रस्तुत सामयिक प्रन्थ में किया गया है राजनीति वजान के अध्येताओ के साथ सामान्य पाठकों के लिए भी यह प्रत्थ पठनीय है । एकला चलो रे !' न दिल्‍ली 'एकला चलो रे श्री गुरदेव रवीद्रनाथ को यह कविता श्रीमती इन्दिरा गाषी को कुछेक चुनीदा पस दीदा कविताओ मे से एक थी । इस कविता के लिए श्रीमती गाधी के दिल मे एक खास जगह थो। अवसर वो इस कविता को बंगला मे सुनाया करती थी । हत्या से एक माह पृव हो एक विदेशी लडकी ने उन्हे एक कविता भेजी थी जिसे उतके दिल ने कही गहराई में छुगा था । श्रीमती गाधो उस लडकी का एकला चलो भेजना स्वाहती थी इसलिए उन्होंने इस कविता के कई अनुवाद करवाए और उनमे छाटकर खुद अपनी कलम से उत्तम फर बदल किए ताकि जो भावना वा कविता में चाहती हैं यो उसमें था सक । श्रीमती गाधी ने अपनी कलम से उस लडकी को एक ख़त लिखा कि गुददेव की कविता का मैंने यहू टूटा पूटा अनुवाद किया है । तह इंदिरा । रक्षक ही मक्षक बन जाय नहीं मिलेनी कही मिनाल । ऋर कमीने हप्यारा ते, कसा रचा बितौना जाल । छोन लिया क्यो हाय हमसे ”? इ दरा जसा अदमुत लाल । कसा बिधि का वस्पात यह, शोकाकुल है भारत भाल । --प्रकाद प्रभाकर (सोनीपत) इन्दिरा हत्या-योजना का ब्लू प्रिंट कनाडा स्थित उप्रवादियो ने भेजा था! नइ दिल्‍ली ६ नवम्बर । दिवंगत प्रधानम त्री श्रीमती दृदिरा गाषी की हत्या के सिलसिने में केन्द्रीय गुप्तचर ब्यूरो को कुछ ऐसे सूत्र मिले हैं, जिनसे हत्या के घडयन्त् में कुछ विदेशी संगठनों का हाथ होने तथा उनके द्वारा कुठ अधिकारियों के माध्यम से आआतिया फैलाए जाने की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही इन चौकाने वाले सुरागा से जाच की दिशा हो बदल गई । गहम त्रालय के सुत्रा के अनुसार श्रीमती गाधी की हुप्या के मिलसिले म॒ गुप्त- चर «पूरो के प्रघिकारी चार विभिव्न कडिया को परस्पर जाडकर जाच पढ़तात कर रहे हैं । ये कडिया राम मनाहर लाहिया श्रस्पताल मे मर्ती हत्यारा सतवत सिंह उसे शपथ दिलाने वाला ज्ञानी चरणजीत सिंह जो दुघतना मे घायल हाकर तीथराम अस्प ताल मे भर्ती है और कुछ सूत्रा के झनुसार विदंश भाग गया बनाया जाता है, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्रौर हृत्यारा का एक अन्य साथी जो फिलहाल हिरासत म है। दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह मे निर्वाण झाताब्दी के श्रवसर पर भव्य स्मारिका का प्रकादान अपनो रचनाए श्रौर विज्ञापन भेजिए पर एड हा प्रसिद्ध फिल्‍मी गायक महेन्द्र कपूर द्वारा महर्षि दयानन्द रह की अमर कहानी 1२: सन्ध्या-यज, शान्तिप्रकरण, स्वस्तिवादन आदि प्रसिद्ध भजनोपदे शको- प बुददेव वि्ञालकार के भजनों का संग्रह । आय समाज के अन्य भी बलत स कैसेटस के सूचीपत्र क॑ लिए लिख कन्स्टोकॉम इलेवटोनिक्स (इण्डिया) प्रा लि दि 14 माकिट || फेस !1 अशोक विहार देहली 52 १ फोन 7118326 744170 टैलेक्स १1-4623 & 0 ॥५. थे - प्राप्ति स्थान - पहु केसेट दिल्‍लो भाये प्रतिनिधि सभा, १४ हनुमान रोड नई दिल्‍लो पर भो मिलते हैं । 9 डर *मफेंद कागज सुन्दर छपाई [६द्सस्करणवितरणकेरनेवालों के शा उ0 16पृष्ठ 8५2 की दर लिए प्रचारार्थ 2356-16 पृष्ठ ४20 की दर 0 आर सताहिटिय अचार ट्ररूट आकार 455,रबारी बाबलीं, टिल्‍्त्वौ-6 ट्रमाष:- 235 8360:2 33112 30वे सस्क्रण से उपरोक्त सूल्य देय होगा/




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now