उत्तर प्रदेश के ग्रामीण विकास में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का योगदान | Uttar Pradesh Ke Gramin Bikas Me Kshetriya Gramin Banko Ka yogdan

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Uttar Pradesh Ke Gramin Bikas Me Kshetriya Gramin Banko Ka yogdan  by विनोद कुमार पाण्डेय - Vinod Kumar Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अपने करोड़ो निवासियों की मूलभूत आवश्यकताओ की पूर्ति और जीवन स्तर को ऊँचा उठाना था। सन 1957 मे भारत के रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री आयंगर ने कहा था कि, “पिछले चालीस वर्ष की अवधि के दौरान गरीबी अपने उच्च शिखर पर बनी रही और लोग उन्हीं आदि कालीन दशाओ में बने रहे जिनमे उनके पूर्वज रहते थे |” यही तथ्य भारतीय उपमहाद्वीप के लाखो गाँवों के बारे मे भी सत्य है। इस देश मे हाल ही मे विकास कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये है । इस गरीबी और फिछड़ेपन की स्थिति को दूर करने के लिए योजनाबद्ध विकास के मार्ग को अपनाया गया है ताकि कृषि, उद्योग व यातायात आदि सभी क्षेत्रो मे विकास हो सके | भारत कृषि प्रधान देश है जहाँ की अधिकतर जनसंख्या गाँवों मे रहती है अतः ग्रामीण विकास मे ग्रामीण साख का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है| सम्भवत: इसी कारण से रिजर्व बैंक ने आरम्भ से ही “कृषि साख विभाग” की स्थापना कर दी थी इस विभाग को निम्न कार्य सौपे गये थे : 1. कृषि संगठन के सम्बन्ध मे रिजर्व बैंक, राज्य सहकारी बैंक तथा अन्य बैंकों की क्रियाओ मे समन्वय स्थापित कराना.। 2. . ग्रामीण, ऋणग्रस्तता, ग्रामीण वित्त, सहकारिता आदि से सम्बन्धित कानूनो का अध्ययन करना तथा उन पर अपना मत प्रकाशित करना | 3. कृषि साख की समस्याओ के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ कर्मचारियों का दल रखना जो आवश्यकता के समय केन्द्रीय सरकार,राज्य सरकार या सहकारी संस्थाओ को परामर्श दे सके | रिजर्व बैंक आफ इण्डिया ने सन 1951 मे अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण हेतु एक गोरवाला समिति नियुक्त की थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सन 1954 में प्रस्तुत की और सुझाव दिया कि देश मे. ग्रामीण साख की उपयुक्त व्यवस्था करने के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक की स्थापना




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