संचार माध्यम एवं साहित्य के अंतर्सबन्ध का विवेचन | Sanchar Mdhyam And Sahitya Ke Antersambadhe Ka Vivechan

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Sanchar Mdhyam And Sahitya Ke Antersambadhe Ka Vivechan by योगेन्द्र प्रताप सिंह - Yogendra Pratap Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रिट मीडिया समाचार पत्र जनता की ससद होती है जिसका अधिवेशन सदा चलता रहता है। 8 समाचार पत्रो का स्वरूप व्यापक तथा बहुआयामी होता है । पत्रकारिता जन समस्याओ से जुडी होती है । इस पर वह सरकार एव सम्बन्धित पक्ष का ध्यानाकर्षण करती है, समस्याओ पर रचनात्मक बहस कर समाधान की पृष्ठभूमि तैयार करती है । प्रत्येक पत्रिका का एक निश्चित पाठक वर्ग तथा उसका सदर्भ क्षेत्र होता है। दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक अथवा वार्षिक सस्करण वाली पत्रिकाएँ विभिन्न भाषाओ मे अपना जाल बिछाए हैं । फोटोग्राफी एव मुद्रण की विकसित तकनीको के प्रयोग से ये पत्रिकाएँ नित-नूतन छटा बिखेर रही है । इन पत्रिकाओ की समाज मे महती भूमिका है। जनमत निर्माण मे इनका विशेष योगदान है । इन पत्र-पत्रिकाआ का साहित्य से प्रत्यक्ष सरोकार है । कुछ पत्र- पत्रिकाए पूर्ण रूपेण समाचार प्रकाशित करती है, कुछ स्वभाव मे साहित्यिक हैं तो कुछ इस दृष्टि से मध्यम मार्गी हैं । साहित्य की भाँति पत्रकारिता भी समाज की विभिन्न गतिविधियों का दर्पण है। समसामयिक घटनाचक्र का शीघ्रता मे लिखा गया इतिहास पत्रकारिता कहा जाता है। ? पत्रो की स्थान-मान वृद्धि के साथ पत्र से पत्रकारिता का जन्म हुआ, एक कला और साथ ही एक विज्ञान के रूप मे । यहीं पत्रकारिता के उस आदर्श और दायित्व की नींव पडी जिसने पत्र और पत्रकारिता को चतुर्थ सत्ता का आसन प्रदान किया ।! 0 हजारो वर्ष पूर्व ज्ञान, सूचना एवं समाचार के वाहक मुद्रित शब्द का प्रादुर्भाव चीन, जापान और कोरिया मे हुआ । व्यावसायिक एव व्यापक तकनीक स्तर पर इसका अनुप्रयोग यूरोप में गुटेन वर्ग द्वारा विकसित धात्विक चल टाइप मशीन के आविष्कार के साथ हुआ। भारत मे मुद्रण गोवा मे 1556 में प्रारम्भ हुआ। इस कला के विकास के साथ पत्रकारिता का भविष्य भी जुड़ा हुआ था। भारत मे पत्रकारिता की शुरूआत के अग्रेजी समाचार पत्र ' बगाल गजट' से हुई जो कलकत्ता से प्रत्येक शनिवार को प्रकाशित होने वाला साप्ताहिक पत्र था। यद्यपि प्रथम भारतीय भाषा मे प्रकाशित समाचार पत्र बगाली मे कुछ समय के लिए दिखा फिर भी अबाध रूप से भारतीय भाषा मे समाचार पत्र के प्रकाश की 8 पत्रकारिता का इतिहास एव जनसचार माध्यम , सजीव भानावत, पृष्ठ 4 9... पत्रकारिता का इतिहास और जनसचार माध्यम, सजीव भानावत, पृष्ठ 1 10... पत्रकारिता सकट और सत्रास-हेरम्व मिश्र, पृष्ठ 1 नि 1




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