महर्षि सुकरात | Maharshi Sukarat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६,
करता है, वद अपने जीवन को कोरा रख लेता दे
और जो दूसरों से सीखने की दृष्टि से थाव-
रण करता है, वह किपती दिन संसार का
मद्दापुरुष कहलाता है । यही बात दम मदद्वि
सुझुरात के जीवन में पाते हैं। हमें भी इसी
प्रकार का दृष्टिकोण रखते हुये अपने जीवन
को उत्तम एवं उन्नत वरना चित हे ।
७
शारीरिक गठन
सुकरात का नारू और तिर ऊँचे थे। नेत्र तेज
भरे थे । चेहरा तथा वक्तःश्यल विशाल और
शरीर भारी भरकम था । स्वास्थ्य झच्दा था ।
उस के सस्प शरीर में स्वस्थ मन था । एक
साधारण और मोटा ता रूईंदार चोया दिशेष
परिधान ( लिगबात ) था । उसी को धारण कर
के एघेन्स नगर के बाजाएं में घूम घूम कर
लोगों से तक वितक किया करता था ।
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