भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था | Bhartiya Krashi Arth Vyavastha
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
376
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झाधिक विकास तथा कुषपि-नीति ज
१६ जल संसाधन
(1) सुप्ृष्ठ ल-मारत के कुल जल संसाधनों का परिमाण १,६८,००० करोड घन
मीटर है । इनमें से केवल ५६,००० करोड घन मीटर (लगभग ३३ प्रतिशत) का ही
उपयोग किया जा सकता है। उपयोग मे लाए जा सकने वाले मृपृप्ठ जल से लगमग
६ करोड हैक्टर मूमि को सीचा जा सकता है ।
माचं, १६७३ के भ्रंत तक सिंचाई की बड़ी, मकली तथा छोटी परियोजनाओओ द्वारा
लगभग २६ करोड हैवटर भूमि को सीचने की ही व्यवस्था थी । इस प्रकार लगभग
३०,००० करोड घन मीटर जल को उपयोग में लाना बाकी है ।
(1) सुमिगत जल--भारत मे लगमग रेर,००० करोड घन मीटर मूमिगत जल
का भी सिंचाई के लिए उपयोग विया जा सकता है । परन्तु श्रमी तक इस उद्देश्य के लिए
लगभग १२,००० करोड घन मीटर जल का ही सदोहन किया गया है ।
उपरोक्त विवेचन से सपप्ट है कि भूपृष्ठ जल व मूमिगत जल द्वारा लगमग ८.२ करोड
हैक्टर क्षेत्र की सिंचाई हो सकती है । परन्तु झ्मी तक लगभग हे ८ करोड हैक्टर भूमि
[निट) को सीचने की व्यवस्था है जो कुल विभव का ४६ ३ प्रतिशत है । यह याद रखने
योग्य है कि पिछले २० वर्षों में हम १४,००० करोड़ घन मीटर अ्रतिरिक्त जल को ही
सिंचाई के लिए उपयोग में ला सके है । वर्तमान स्थिति यह है *
फसल क्षेत्र करोड हैक्टर सिचित क्षेत्र करोड हैक्टर प्रतिशत
(निवल) १३.६१ (निवल) नम (२७ ४92)
(सकल) १६.३४ (सकल) च् (२७-५६)
जल-प्रबन्धन तथा सिंचाई की समस्या का विस्तृत श्रघ्ययन श्रच्याय दे में किया गया है ।
१.७ जनसंख्या व भू-जन अनुपात
१६४५१ में भारत की कुल जनसख्या ३६.०४ करोड थी जो १६६१ में बढकर ४३.६१
करोड़ हो गई । १६५१ तथा १९६६१ के बीच जनसख्या मे २१६४ प्रतिशत की वृद्धि हुई ।
१६७१ की जनगणना के श्रनुसार जनसख्या ५४.७६ करोड़ थी । १६६१-७१ की अवधि
में देश की जनसख्या मे २४.८ प्रतिशत की वृद्धि हुई । जनसंख्या मे इस वृद्धि ने हाल के
वर्षों मे देश के कृषि-ससाघनों तथा स्वाद्य-पूत्ति पर झत्यधिक दबाव डाला है । ११६६१ की
जनगणना के झनुसार ग्राम जनसख्या बुल जनसख्या की ८२ प्रतिशत थी । १६७१ मे देश
की शर्ड करोड ७६ लाख जनसब्या में से १० करोड ९१ लाख अर्थात् १६ € प्रतिशत लोग
नगरो तथा कस्वो मे झ्रौर शेप ४३े करोड ८८ लाख झर्थात् ८०.१ प्रतिशत लोग गाँवों में
रहते थे । जनसब्या के झाँकड़ो से पता चलता है कि १९२१ श्ौर १९७१ के बीच नगरीय
जनसंख्या में बराबर दृद्धि होती रहो है ।
१६७१ मे, ५४.७६ करोड़ की कुल जनसख्या में से, श्रमजीवी संख्या २३.६० करोड़
भ्र्यात् ४३ प्रतिशत थी । कुल श्रमजीवी जनशक्ति के ७१.६२ प्रतिशत म्र्थात् १६.६० करोड़
लोगो को कृषि द्वारा रोज़गार प्राप्त होता है । कुल श्रमजीवी जनसंख्या में कृपकों का
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