भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था | Bhartiya Krashi Arth Vyavastha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झाधिक विकास तथा कुषपि-नीति ज १६ जल संसाधन (1) सुप्ृष्ठ ल-मारत के कुल जल संसाधनों का परिमाण १,६८,००० करोड घन मीटर है । इनमें से केवल ५६,००० करोड घन मीटर (लगभग ३३ प्रतिशत) का ही उपयोग किया जा सकता है। उपयोग मे लाए जा सकने वाले मृपृप्ठ जल से लगमग ६ करोड हैक्टर मूमि को सीचा जा सकता है । माचं, १६७३ के भ्रंत तक सिंचाई की बड़ी, मकली तथा छोटी परियोजनाओओ द्वारा लगभग २६ करोड हैवटर भूमि को सीचने की ही व्यवस्था थी । इस प्रकार लगभग ३०,००० करोड घन मीटर जल को उपयोग में लाना बाकी है । (1) सुमिगत जल--भारत मे लगमग रेर,००० करोड घन मीटर मूमिगत जल का भी सिंचाई के लिए उपयोग विया जा सकता है । परन्तु श्रमी तक इस उद्देश्य के लिए लगभग १२,००० करोड घन मीटर जल का ही सदोहन किया गया है । उपरोक्त विवेचन से सपप्ट है कि भूपृष्ठ जल व मूमिगत जल द्वारा लगमग ८.२ करोड हैक्टर क्षेत्र की सिंचाई हो सकती है । परन्तु झ्मी तक लगभग हे ८ करोड हैक्टर भूमि [निट) को सीचने की व्यवस्था है जो कुल विभव का ४६ ३ प्रतिशत है । यह याद रखने योग्य है कि पिछले २० वर्षों में हम १४,००० करोड़ घन मीटर अ्रतिरिक्त जल को ही सिंचाई के लिए उपयोग में ला सके है । वर्तमान स्थिति यह है * फसल क्षेत्र करोड हैक्टर सिचित क्षेत्र करोड हैक्टर प्रतिशत (निवल) १३.६१ (निवल) नम (२७ ४92) (सकल) १६.३४ (सकल) च् (२७-५६) जल-प्रबन्धन तथा सिंचाई की समस्या का विस्तृत श्रघ्ययन श्रच्याय दे में किया गया है । १.७ जनसंख्या व भू-जन अनुपात १६४५१ में भारत की कुल जनसख्या ३६.०४ करोड थी जो १६६१ में बढकर ४३.६१ करोड़ हो गई । १६५१ तथा १९६६१ के बीच जनसख्या मे २१६४ प्रतिशत की वृद्धि हुई । १६७१ की जनगणना के श्रनुसार जनसख्या ५४.७६ करोड़ थी । १६६१-७१ की अवधि में देश की जनसख्या मे २४.८ प्रतिशत की वृद्धि हुई । जनसंख्या मे इस वृद्धि ने हाल के वर्षों मे देश के कृषि-ससाघनों तथा स्वाद्य-पूत्ति पर झत्यधिक दबाव डाला है । ११६६१ की जनगणना के झनुसार ग्राम जनसख्या बुल जनसख्या की ८२ प्रतिशत थी । १६७१ मे देश की शर्ड करोड ७६ लाख जनसब्या में से १० करोड ९१ लाख अर्थात्‌ १६ € प्रतिशत लोग नगरो तथा कस्वो मे झ्रौर शेप ४३े करोड ८८ लाख झर्थात्‌ ८०.१ प्रतिशत लोग गाँवों में रहते थे । जनसब्या के झाँकड़ो से पता चलता है कि १९२१ श्ौर १९७१ के बीच नगरीय जनसंख्या में बराबर दृद्धि होती रहो है । १६७१ मे, ५४.७६ करोड़ की कुल जनसख्या में से, श्रमजीवी संख्या २३.६० करोड़ भ्र्यात्‌ ४३ प्रतिशत थी । कुल श्रमजीवी जनशक्ति के ७१.६२ प्रतिशत म्र्थात्‌ १६.६० करोड़ लोगो को कृषि द्वारा रोज़गार प्राप्त होता है । कुल श्रमजीवी जनसंख्या में कृपकों का




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