गबन नारीत्व के जागरण की कहानी | Gaban Naritva Ke Jagaran Ki Kahani

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Gaban Naritva Ke Jagaran Ki Kahani by चन्द्रभानु सोनवणे - Chandrabhanu Sonawane

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गन । से को प्रमुख समस्या विदौपणा से सम्दद्ध है । इसी समस्या से सम्दन्घित जमीदारी ब्यवस्या के अन्यायपूर्ण झोषण, पूँजीवादी वर्ग द्वारा शोषण से प्राप्त बस को पयाने के लिये दान घर्म का आश्रय, निम्न भध्यमवर्म को मिलने दाला अपर्याप्त वेतन, अल्प चेतन के कारण निस्ग वर्गों में कर्ज लेने थी प्रवुत्ति या रिदिवत लेने को यजयूरी आदि मुख्य समस्या से सम्बद्ध उपागों का प्रसगत स्थान-स्यान पर उल्लेख हुआ है । आधिक विपन्नता से उत्पन्न हीनता को छिपाने के लिये प्रद निप्नियता का प्रसार निम्न मध्यमपर्ग के लिए अत्यन्त ही अपायकारक सिद्ध हुजा है । भप्रेजी शिक्षा के प्रमाव ते दृद्धिगत हुई दे गवलालसा ने इस श्रदर्धनप्रियता को अत्यधिक सीमा तक बढ़ा दिया है, जिपके परिणामस्वरूप गबन की घटनाएँ समाज में राम हो गई हैं । चादर देख पाँव न फैठाने के वारण रमानाथ को विपत्तिचक्र में फंसना पड़ा । लेखक ने विरी- पणा के क्षेत्र बी ही भर्थयोपण से सम्बद्ध विदेशी शासन वी समस्या को उपग्यास ने उत्तरार्ध था विपय वाया है । स्वदेशी और स्पराज्य की आवद्यवता शोषण से मुक्ति पाने के लिये है । 'गवन' उपन्यास में स्त्रियों से सम्दद्ध समस्याएँ भी बहुत वे अश मे. जय से सहज ही जुडी हुई हैं । अयॉत्पादन वी. दृष्टि से परतन्न मध्यम वर्ग मी स्त्रियों ना आमूपण लालसा से पस्त होना स्वामापिक ही है । दहेज पर दे सकने पी बिव- शात्ता से कारण रतन जेसी मुग्धा स्त्रियों का चुद्धी के पस्छे में पड़ना आश्तर्म वी बात नहीं है । सयुक्त परिवार के उत्तराधिकार सम्बन्धी धस्यायकारक कानून के वारण विपवा स्परी का दुर्देशाप्रत्त बनना मी आर्थिक समस्या या ही अंग है । समाज में बेशयर रामरया भी मूखत नाथिक है । लेसक से उस दृष्टि से उस जोर शकेत नहीं क्या है । इसके अतिरिक्त रूडिगत विचारों के कारण कठिन वनी हुई वेद्याओ की समस्या का समाधानवारक उत्तर देने से लेखक ने अपने को बचा लिया है । वैश्य ब्यपमाय से विरक्त होगर सनमागं पर चलने के लिए दृद्द भगल्प जोहरा के लिए लेखक ने समाज में स्थान दिलानें के लिए कुछ नहीं दिया है । वह समस्या से कन्ी काट बर-जोहरा को यिघवा दिखाकर निकल जाता है । सर्मवत जोहरा को समाज में यंपोचित स्थान दिलाने में असमर्वे होकर हो उसने जोद्दूता को वाट के पानी में बहातर छुटकारा था लिया है मुद्दी प्रेमचन्द थोषितों के लेख है । समाज में उपेघित वर्ग के समान घर- घर में घोित व्यक्ति मी हैं । समाज वा तथाकथित वरीयअर्घोग ( छटाएट शा ) इनरनघॉप के लग्याधारों के कारण सुगो-युगों से अलिदाप्त जीवन जोने के लिए थाध्य है। दस अभिदप्त यीवन से मुक्ति पाने के दिए पुस्पों दारा सचालित स्त्री आन्दो- लनों की अपेक्षा स्वय सस्मितासपन्न स्त्रियों के दारा अपने पैरो पर खड़े होते वे प्रयत्व हीं अधिक महत्व हे हैं, स्थायी उपाय हैं 4 आत्मनिर्म रतर के अमाव में पाप्त




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