शाला संगठन एवं शिक्षा समस्याएँ | Shala Sangthan Evm Shiksha Samsyayen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
497
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रो हेतसिंह वघेला - Prof. Heatsingh Vaghela
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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से प्रधानाब्दापक विद्यालय बा प्राण है ।,प्रयानाध्मापर पाठशीला के विभिसे घ्गो
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6). प्धानाध्यापक- किप्ी जहाज के कप्पोन को शति सूशुर्जे में अपना सुरूय रथाप रखता
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गे -अधानाव्यापक का व्यक्ति ही स्टूचें केरैचारी सोर प्रतिजिस्मित होता है । _सकून
के. वेणवच्द प्रौर प्रधागाध्यापिय छिमपपर रागिएई जाने बा दी मुहर द. .
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5) ब्रघानाध्योपर्ग की विद्धालय में स्थिति वहीं दै,जा सेना न्यू सेनानति हम नाव 2
दरें पाविन को हात्ते है । प्रघानाध्यापप विदयाणप प्रशागने से युम्पद वां चाधार
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9) , अरे मूथूवा पूरे प्रयाज्ताव्यापन के भकुसार: वियावय' उनति शव झवनोति माप्त
सी रे हैं । मुहादू प्रपाप्च्यापक महानुर्फ्यालय को जमदिनहूं। न
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10) वह एन किशोर न्यापाजय का न्यायाधीश « जिसकी थदालत्,मे केवल दोषी ही
ही बरेंन निर्दोपभी, श्रांते हूं 1 वह एक प्रशतक है ज़िमे ग्रयने लियालम के भविष्य
* की कलपनों करनी चाहिए तथा जनता को-अपनी याजता के म्रनुसुस बदलना चाहिए
चहु प्रर्पेर मा बाप थे लिए 'सामाजिक,_ चिरहित्सर है जिनके स्वेन्ठाचारी «बच्चे की -
देख रेख की आवश्यकता है, वह प्रत्यव' यात्र क॑ लिए मित्र है भौर सभी दुवबी घरों
के लिए भीं मित्र, उसनी शक्ति, उसके बाय, यहां तक कि उम्रके द्ाटकार्यों को किसी
शभो भोंतिदं छती से मापा नही जा सकता । .... _ _ नी
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आधुनिप रिला चददेगयो की-पुति इन प्रदाताध्यापफ के साध्यम से ही कूँय-
सकेंगे है ययोफि उसका कार्पसेमर थे जिम्मेदीगी वे चिग की थे सेसरो में ' पाठ्यक्रम प्रा
करवाना मात्र ही नहीं है बल्कि सम्पर्ग समाय व राष्ट्र की प्राकाझागयी के श्नुसुप छात्रा
में चारिनिक त्गसाकूको '्ोष्त कर देंगे वी पेजातामक स्वस्थ दी सफलता हट लाग-
रिव तैयार बारने 'के साथे-साय समाज कैं छोटे तय में विनय या विकास करना है । ड
सारे समाज, राष्ट्र, प्रभिमावक, श्रध्यापक बालकों के प्राि शत्यथिक जिंम्मेदारिया है,
नियवी उसे निवाह करना है । यदि राजन शास्तरवे्ता की भाषा में यह कहां जाय
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