अमिट निशानी | Amit Nishani

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Amit Nishani by श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मिट निशामं पन्द्रह जीवन-वन का साज सजाती तेरी सुधि की मजुल कलियाँ भरन-भावना.... करुण-कामना की मडराती है मधु-यलियाँ, समुति का कंग्ग करण चन जाता केवल तेरी श्रमिट नियानी ' 000 00000900 ही दि कि




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