वैराग्य तरंग गुरु काव्य गूंजन | Vairagya Tarang Guru Kavya Gunjan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
329
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)टुंक नोध
परम कूपाल् शरीमद गुरूदेवना कृपाइक्षनी अंद्वैत छायामां
रमण करता “भक्तिरस काव्यो अने आत्मचिंतन पदों”
सुधारवाजु फाय इस्तमा लीघु
गुरुभ्रीनी चखतों बखतनी भीठी सुरास अने उत्साहनी
छोलो मारा रोगे रोममा दहादता आ भक्तिरस थाल वाचकों
समझ मूकी शवयो,
जेओने हु मारा माणमद्र तरीके स्वीकार छु ते सहान
योगीराज, तिथेरुप, परमकूपाछु गुरुदेव आीमदू विजय-
स्षांतिदरीश्वरजीना कपाइसनने मारा मनोमदिरमा रोपवाने
ददशवरे पूरवनी आ अपूर्द तैयारीओ चाठी आता भक्ति-
रुप जद्वारा जीवन ज्योतने झूफावी«
लावा समये, कृपाइक्षने खीछावतता तेना फनी आशाए
आग वध्यो चपाना दस्ने ज्यारे पुष्प उपार्भीत थाय छे
त्यारे तेनी वासना उत्तम सुदासथी नाशीफाने भरपुर चनावे
छे, तेवी ज रीते भक्ति पुष्पनी म्ेंक अने वेराग्य रुप वानगी
साथे भक्ति रस थाठने केटलेक अशे पुणे कर्यी-
“ सक्तिरस काव्यो अने आत्म्थितन पदोमा
अवारनवार परघारो वधारों तेम केटलाक मूल दिपयमा परी-
चर्तन थवायी जा पुस्तकना नाममा फेरफार करवानी भारी
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