विद्यापति ठाकुर | Vidhyapati Thakur
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समकालीनराजवंश १७
न
विद्यापति-सम कालीन पिधिला फे रॉजायं का अआति-
_-....'... 2. संक्षिप्त श्िवरश /
_ सबसे प्रथम मिथिला के ऐतिहासिक राजा नान्यदेव थे । किसी कारण
कायणांट देश: को छोड़ १०१६ शाके-अ्र्थात् १०६७ इईस्वी में इन्होंने सीतामढ़ी
- रेलवे, स्टेशन से कुछ ्रागे* कोइली नानपुर श्राम के समीप सिमरॉवगढ में
अपनी राजधानी ' बनाई । इसी स्थान पर नान्यदेव तथा इनके वंशजों ने
लंगमग, २२६ चर्ष राज्य- किए । इनके- बाद 'प्रिथिला का राज्य सैथिल
जाहाणों के आ्ाधिपत्ये में श्राया ।
' ये सैथिल' ब्राह्मण ओइनी ग्राम के उपाजक थे और इसी लिए ये सब -
“व्रोइनिवार” ब्राह्मण कहलाते ये | यह-'आओइनिवार' या “श्रोइनी” बंश बहुत
ही प्रुलिद्ध है । इस वंश के लोग ब्राह्मण पंडित होते हुए , भी युद्धक्ेत्र में
शत्रुओं के साथ बड़ी वीरता से लड़ने वाले हुए । उन दिनों सुल्तान फ़ीरोज
_ शाह ( १३४१-८८ ) के अधीन सिथिला का राज्य हो गया था । सब से पहले
च्ोइली य्रामोपाजंक, नाहठाकुर के अतिवृद्धप्रपोत्र राजपड़ित सिद्ध कामेश्वर
«को राज्य दिया गया * । कितु उन्होंने राज्य को अपनी तपस्या में विध्नस्वरूप
जान कर उसे स्वीकार नहीं किया । शत उनके ज्येष्ठ पुत्र भोगीश्वरठटाकुर,
1 ्यण्णणणणययद्ध/ण्ण्णणणामभा
१ झ्फोइनी बंसल पसिद्ध जग को तस करई से सेव ।
ढुट्॒ पएक्कत्थ न पाधिदद ' भुभवद झारु भूदेव ॥
-र्“'कीर्तिलता”, परलच २
९ ताकुल केरा चड़िपन चाचा कद्योन उपाए ।
- ..... जज्जस्पिझ्र उप्पत्नसति कासेसर सन राय: ॥
“घीतिलता , पटल १
डे
न
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