लकड़हारे का बेटा | Lakadhaare Ka Beta
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
34
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). मार पड़ेगी, इसलिए थोड़ी देर शान्त रहो, मुझे भी पेट-भर खा लेने दो।”'
||... सियार थोड़ी देर तो चुप रहा, पर फिर झाड़ी में घुस कर हुक्का-धुंआ, हुक्का-धुंआ करने लगा। . |
- रखवाले तुरन्त जग गये, और खेतों में दौड़ पड़े । सियार तो झाड़ीं में छुप गया था, पर ऊंट बड़ा होने के
कारण छुप.न सका। रखवालों ने ऊंट को. खूब पीटा, इतना कि वह चल नहीं सकता था। और उसके
. गले में एक बड़ी सी लकड़ी बांध दी। रात में किसी तरह, ऊंट सरक-सरक कर नदी किनारे पहुंचा।
. सियार पहले ही वहां पहुंच गया था। सियार ने पूछा--*ऊंट भाई। तुम्हारे गले में क्या है ?'' ऊंट ने
कहा--“' भाई यह तगमा है, मार खाने का इनाम।''
_ सियार ने कहा--'' ऊंट भाई! मुझे अपनी पीठ पर बैठा लो, मैं भी नदी पार जाऊंगा ।”'
ऊंट कुछ नहीं बोला। सियार उसकी पीठ पर बैठ गया। ऊंट जब नदी के बीच में पहुंचा तो
बोला--'सियार भाई! मुझे तो लोटास लगी है, मुझे लोटने की आदत है।''
सियार गिड़गिड़ाने लगा, *' भाई नदी पार करके लोटना, नहीं तो मैं डूब जाऊंगा, मैं तो तैरना नहीं
जानता। मुझे पार कर दो, ईश्वर तुम्हें सुख देगा।''
ऊंट कुछ नहीं बोला, थोड़ा आगे बढ़ा, जब बीच धारा आ गई तो बोला--' अब तो मैं नहीं रुक
सकता, मुझे लोटास लगी है, मैं तो लोटूंगा।'' यह कर कर ऊंट पानी में गोता लगाने लगा, सियार
उसकी पीठ पर से गिर गया और नदी में डूब गया।
बच्चों ! इसीलिए कहते हैं, कभी दूसरों का बुरा न करो, नहीं तो अपना बुरा होता है। ऊंट और
सियार की कहानी से तुम्हें यह उपदेश लेनी चाहिए।
लकड़हारे का बेटा / 15
User Reviews
No Reviews | Add Yours...