पाठालोचन के सिद्धान्त | Pathalochan Ke Siddhant

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Pathalochan Ke Siddhant  by गोविन्दनाथ राजगुरु - Govindnath Rajguru

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(रा) श्रपादान कारक (सो, सो, सिंउं ते : परमर्ग ) । सम्चन्प कारक (का, के, की दा, दे दी : परसर्ग) । मधिकरण फ़ारक (इ : विभवित । मां, विपे, परि : परसग) । चहुवचनचिधि (प्राइत-मपधघ्रंश-परम्परा : पंजावी देशज परम्परा : महू, हु, उ, इ) । रूप विवेचन (घातु : क्रिया रूप) ।. घातु-वर्ग, तत्मम घातु, प्राचीन (ध्वनि परिवर्तित) घातु, देशज घातु, । नाम धातु । काल रूपों की संरचना । फदन्त रूप, स्व॒रादि कतूंवाची, स्वरादि कर्मवाची, स्वरादि कहूंवाची (उत्तम पुरुष), व्यंजनादि कर्तुवाची (प्रथम पुरुप), मध्यम पुरुप (वहुवचन) । भपुर्ण प्रिया, संभावना-विघ्यर्थक, प्रथम-मध्यम-उत्तम पुरुष । कमेंवाची । भविष्य कालिक फ़िया पद : प्रथम पुरुष (पुर्ट्लिंग), प्रथम पुरुष (स्त्रीलिंग ), प्रथम पुरुप (वहुवचन), मध्यम पुरुप, उत्तम पुरुष । कर्मवाची भविष्य । प्रथम पुरुप (एक-वटहुवचन) । संयुक्त श्रियापद । बहुवचन, निपेघार्थक, 12 प्रकार । हेतुहेतुमदु भूत । दो प्रकार । कर्मचाची । चार प्रकार । नामघातु । नी प्रकार । भाववाचक । छह प्रकार सर्वनाम । पांच वर्ग । विशेषण : 19 प्रकार । संय्यावाचो शब्द । पांच प्रकार । अव्यय । तीन वर्ग । छह उपवर्ग । द्विसवत शब्द । ट्विसवित-संवार । वाकय-संरचना । पत्चकोटिक वाक्य । जटिल वाक्य विन्यास, लुटित : खंडित वाक्य । लिद्ध भेद, वचन व्यत्यय । अन्विति मभाव, फारसी नुमा चावय, पंजादी प्रभाव । संस्कृत प्रभाव । पारसभाग : शब्द भण्डार । ल्िकोटिक शब्दावली, एक सुलता, संस्कृत- मूलक शब्दावली, बरवी-फारसी मूलक शब्दावली, पंजावीशब्दावली, सानुनासिक शब्दावली । परिदिष्ट, चित्र फलक 269-291 1, लिपि, मात्रा, मंक : विकास (चित्र फलक : 1-4) 2. ताइपन्लीय पांटदुलिपियां (चित्र फलक ; 5-7) 3. कांगुज पर लिखी पांदुलिपियां (चित्र फलक : 8-9) 4... 'पारसभाग' के प्रति (चित्र फलक : 10-16) 5 «.. “गपवार टेचढ़ी का (चित्र फलक : 17)




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