अफलातून की सामाजिक व्यवस्था | Aphlatoon Ki Samajik Vyavastha
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोपाल दामोदर तामसकर - Gopal Damodar Tamsakar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अफलातूनकी जीवनी । पड
नामक अन्थम उसने प्रथम उुद्देशकी सिद्धिका श्रयत्न किया
है झर 'लॉज' नामक प्रन्थमें दूखर उद्देशकी सिद्धिका । परन्तु
इससे क्लोई यह न समके कि उसके ये समस्त बिचार केवल
'खयाली दुनियां * की बातें थी और उन विचारोंके प्रचारसे
प्रत्यक्ष कुछ भी काय न हो सका । वास्तव उसका घिद्यप्पीठ
राजकीय कार्योकी शिक्षाका केन्द्र था और उसके शिष्योमेसे
झनेकौने राज्य सचालकका और व्यवस्थापकका काम किया ।
विद्यापीठसे निकल कर उसके शिप्योने मिन्न भिक्ष राज्योंमं
खुब्यवस्था स्थापित करनेका प्रयल्न किया ।
अफलातूनके बाद जेनोकेटीज नामक पुरुष उसके बिद्या-
पीठका सचालक इुआ । इस व्यक्तिने प्रसिद्ध सिकन्द्रके
कहनेपर उसे राजाके कार्योकी« शिक्षा दी और झआथेन्सके
राजकीय कार्योमें प्रत्यक्ष भाग भी लिया । श्रीसके पूर्व और
पश्चिम, दोनों ओर, इस विद्यापीठका यथेष्ट प्रभाव पडा । एक
बातमें तो इसका प्रभाव खूब गहरा और स्थायी रहा--यूनानी
काननूके विकासमें इस विद्यापीठका अच्छा हाथ रहा । खय
अफलातूनने झपने तत्वोके झनुसार श्रीसके कानूनका प्रणयन
श्र परिवतेन करनेका अयल् किया था । ऐसा ज्ञान पडता
है कि तत्कालीन श्रीसपर 'रिपब्लिक' की अपेक्षा 'लॉज' नामक
प्रथका झधिक प्रभाव पडा ।
अफलातूनके कार्य इतनेमें ही समाप्त नही होते । साठसे
सत्तर चर्षकी अवस्यातक सखिसखलीमें उखने झणने तत्वीकों
प्रत्यन्त व्यवहारमें लानेका प्रयल्न किया था । तत्कालीन राज-
कीय परिस्थितिके सम्बन्धमें मनन करनेसे उसकी यह ४ढ
धारणा होगयी थी कि राज्योकी शासनव्यवस्थाश्नोका जब-
+ (0०080 प५0181 018 11188%10118
User Reviews
No Reviews | Add Yours...