अफलातून की सामाजिक व्यवस्था | Aphlatoon Ki Samajik Vyavastha

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Aphlatoon Ki Samajik Vyavastha  by गोपाल दामोदर तामसकर - Gopal Damodar Tamsakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अफलातूनकी जीवनी । पड नामक अन्थम उसने प्रथम उुद्देशकी सिद्धिका श्रयत्न किया है झर 'लॉज' नामक प्रन्थमें दूखर उद्देशकी सिद्धिका । परन्तु इससे क्लोई यह न समके कि उसके ये समस्त बिचार केवल 'खयाली दुनियां * की बातें थी और उन विचारोंके प्रचारसे प्रत्यक्ष कुछ भी काय न हो सका । वास्तव उसका घिद्यप्पीठ राजकीय कार्योकी शिक्षाका केन्द्र था और उसके शिष्योमेसे झनेकौने राज्य सचालकका और व्यवस्थापकका काम किया । विद्यापीठसे निकल कर उसके शिप्योने मिन्न भिक्ष राज्योंमं खुब्यवस्था स्थापित करनेका प्रयल्न किया । अफलातूनके बाद जेनोकेटीज नामक पुरुष उसके बिद्या- पीठका सचालक इुआ । इस व्यक्तिने प्रसिद्ध सिकन्द्रके कहनेपर उसे राजाके कार्योकी« शिक्षा दी और झआथेन्सके राजकीय कार्योमें प्रत्यक्ष भाग भी लिया । श्रीसके पूर्व और पश्चिम, दोनों ओर, इस विद्यापीठका यथेष्ट प्रभाव पडा । एक बातमें तो इसका प्रभाव खूब गहरा और स्थायी रहा--यूनानी काननूके विकासमें इस विद्यापीठका अच्छा हाथ रहा । खय अफलातूनने झपने तत्वोके झनुसार श्रीसके कानूनका प्रणयन श्र परिवतेन करनेका अयल् किया था । ऐसा ज्ञान पडता है कि तत्कालीन श्रीसपर 'रिपब्लिक' की अपेक्षा 'लॉज' नामक प्रथका झधिक प्रभाव पडा । अफलातूनके कार्य इतनेमें ही समाप्त नही होते । साठसे सत्तर चर्षकी अवस्यातक सखिसखलीमें उखने झणने तत्वीकों प्रत्यन्त व्यवहारमें लानेका प्रयल्न किया था । तत्कालीन राज- कीय परिस्थितिके सम्बन्धमें मनन करनेसे उसकी यह ४ढ धारणा होगयी थी कि राज्योकी शासनव्यवस्थाश्नोका जब- + (0०080 प५0181 018 11188%10118




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