सम्पूर्ण गाँधी वडंमय भाग - ७० | Sampurna Gandhi Vaangmay, Vol-70

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Sampurna Gandhi Vaangmay, Vol-70 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाठकोंको सुचना हिन्दीकी जो सामग्री हमें गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मिली है, उसे अविकल रुपमें दिया गया है। किन्तु दूसरों ढारा सम्पादित उनके साषण अथवा लेख आदिमें हिज्जोंकी स्पष्ट भूकोंको सुधारकर दिया गया है। अग्रेजी और गुजरातीसे अनुवाद करने में अनुवादकों मूखके समीप रखने का पूरा प्रयत्न किया गया है, किन्तु साथ ही भाषाको सुपाठ्ध बनाने का भी पूरा ध्यात रखा गया है। छापेकी स्पष्ट भूलें सुधारने के बाद अनुवाद किया गया है। और सूलमें प्रयुक्त दशब्दोंके सक्षिप्त रूप यथासम्भव पूरे करके दिये गये है। नामोंको सामान्य उच्चारणके अनुसार ही लिखने की नीतिका पालन किया गया है। जिन नामोंके उच्चारणमें संक्षय था उनको बैसा ही लिखा गया है जैसा गांधीजी ने अपने गुजराती लेखोमें लिखा है। मूक सामग्रीके बीच चौकोर कोष्ठकोंमें दी गई सामग्री सम्पादकीय है। गांधीजी ने किसी लेख, भाषण आदिका जो अंश मूल रूपमें उद्धुतत किया है, बह हाशिया छोड़कर गहरी स्थाहीरमें छापा गया है, लेकिन यदि कोई ऐसा अंश उन्होंने अनूदित करके दिया हैं तो उसका हिन्दी अनुधाद हादिया छोडकर साधारण टाइपमें छापा गया है। भाषणकी परोक्ष रिपोटे तथा वे शब्द जो गाधीजी के कहे हुए नहीं है, बिना हवाथिया छोड़े गहरी स्याद्वीमें छापे गये है। भाषण और भेंट की रिपोदेके उन अंशोंमें, जो गाधीजी के नहीं हूँ, कुछ परिवतेन किया गया है भौर कहीं-कहीं कुछ छोड़ भी दिया गया है। दीर्षककी लेखन-तिथि जहाँ उपलब्ध है, वहाँ दायें कोनेमें ऊपर दे दी गई है । परन्तु जहाँ वह उपछब्ध नहीं है वहाँ उसकी पुरति अनुमानसे चौकोर कोष्ठकोंमें की गई है, और आवदयक होने पर उसका कारण स्पष्ट कर दिया गया है। जिन पत्रोंमें केवल मास या वर्षका उल्लेख है, उन्हें आवदयकतानुसार मास या वर्षेके अन्तमें रखा गया है। शीर्षकके अन्तमें * साधन-सुत्रके साथ दी गई तिथि प्रकाशन की है । गांधीजी की सम्पादकीय टिप्पणियाँ और लेख, जहाँ उनकी लेखन- तिथि. उपलब्ध है अथवा जहाँ किसी दुढ॒ आधारपर उसका अनुमान लयाया जा सका है, वहाँ लेखन-तिथिके अनुसार और जहाँ ऐसा सम्भव मही' हुआ, वहाँ उनकी प्रकाशन-तिथिके अनुसार दिये गये है। पस्द्रह




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