आराधना का राजमार्ग | Aaradhna Ka Rajmarg

Aaradhna Ka Rajmarg by रतन मुनि -Ratan Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पे मन को साधने की कला कपारे घरीर से सस्ते अति सलियारी, सस्ये अधि बम असटेरपा आर सारे शरीर शा मेला सन है 1 से हे जीवन कर शस हा शब्स शा परत है। परानु है आपने पूरता हूँ दि आपने बनी सात सन गे बात थी है है अपन अगते सित्रो से घर बार दाने थे होंगी, थरद सोगी से पी आप सितते होगे, पास्तु भन थे भाप बसी एहास में मिले है ? हैं भमपतां हू दि सही सिने हगि । इसेदां पहल यह है हि मम मामत तरव थी शाथि और सहर्द था अपने शमी वियाएं ही मरी बिया । छाप तंग बी शुर्हत बरतें हैं, नागा मी सूध शमत-गंधत कर बोतते है, गत की समाय भीडी को शंसाणते है। धर सन सास तर को समान लहीं चरते । शत में बिता मेल भरा है ? माप धाति रात उठते ही हावनमुंह धोति है, दाँत शाप करते है, घारीएं थी सफाई बरतें है, उसके लिए इारीए पर सावुस चिसरर मल-सस कर सहाते है, भें शाफ बरतें है। शदपों रवर्एद और शुद्ध बरते है । भापरों बोई पता है दि इतनी सपाई बयां गरते है ? तो आप चट ये बे देते दि मु्ते पदशी जरा मी परस्द लहीं है। मैं तो गय गु्ध माफ भौर रवर्ण देशना चाहता है परत्तु भाप बसी सन की गरदगी के विषय में ऐसा बहते है दि मुझे सन थी शस्दसी जिलवुस पसर्द नहीं है, मैं सम को शुद्ध और रवर्एद देखना चाहता हूँ ? सन में वितना मैस भरा है ? इसवा भी आप कमी विषार बाते है ? मत में पवित्र, अशुद्ध और रगिडप से पन्दे, पिनौते विषारों का जितना शूडान्दपंट जमा हो गया है, बयां भाप रखी इस शम्बरप में चिस्तम बरतें हैं ? आप बहेंगे दि नहीं, सहाराज | इस दियय में हम सोते ही बम है। मत को शाधे बिना शभ्नी गुल फीरे आप कदाचितू यहू बह कर छिटक सबते हैं कि संग पर विजय पाना थां सन थो शुद्ध रखने का आम हो साधुजासतों था यौगियों का है, हमारा नहीं । हम तो गुहरप हैं । हमें तो कपनी घर-पृहस्थी चलाने हे मतलय है । होते सो अपनी साई आर गुषन्वान्ति से जीने से प्रयोजन है । हे सन को शाध अर रना गया है ! धरल्तु




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