अञ्जना हनुमान | Anjnaa Hanuman

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Anjnaa Hanuman by कविराज जयगोपाल - Kaviraj Jaygopal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ पहला परिच्छेद ।.... सर पसपपयययममसदम्स्स्थस््यि गेम टस्सससमशवम्ेवस्मसवसयय रद विरह । 2:छ09:9 त्रि तारेगिनते कटतो है और 'दिन ठंडे ।साँस भरते । भर >छ22 लोग विपत्ति के समय ज्योतिधियां से ग्रह गति पूछते पर मेरे लिये यह सब व्यथं है, क्योंकि मेरे भाग्य के आकाश दुख का नक्तत्र घ्र.व होकर चमक रहा है । एक एक करके दस वष॑ व्यतीत हो गए, पर मेरे दुख का शझंत नहीं हुआ । अंत तो कहाँ, मुझे झभी तक यह भी पता नहीं लगा कि मेरे दुख का कारण क्या है । ज्योतिषियां का कथन, बृद्धो के आशीर्वाद श्र देवताओं की पूजा झर्चना, यह सब जी पचांवे की बातें हैं; क्योकि मेरी दशा छोर उन के कथन का उतना ही अंतर है जितना उदय झऔर अस्त का । जब में कुचारी थो तो




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