रजिस्थानी गद्द्य साहित्य उद्भाव और विकास | Rajasthani Gadh Sahitya Udbhav Aur Vikas

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Rajasthani Gadh Sahitya Udbhav Aur Vikas by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(थ) /समोबितक' तिलक कस “ठक्ति संप्रद””....राजस्वानी के माप्पम से संत ब्याकरण को सममयमे के इद रय से इनकी रचनां ...इस काल के मापा स्रूप को सममकने के लिये इनका अर्म्पयन आवश्यक ..इन सप में सुष्यावबोष झषिक मइसपुर्ण-!.गध के उवाइरण ... कल ६ श .. श-नैश्ानिक गए एल. ६१-५३... , ,,.. - केवप्न दो गस्यित रचनारसे प्राप्त... १-गय्ित सार, २-गण्धित पंचर्बिरा- सिम -प्रथस भी राजकीर्ति मिस द्वारा अनूदित मप्यकाल के नापतोश के उपकरण पब॑ सिक्कों का ब्स्लेस । द्वितीय मो शंमूदास मंत्री रा रचित सं० (४८५...गद के चवाइरण... - चतुर्थ प्रकरण. पू्वे पीठिका....ऐतिशासिक मुर्मि. मुसक्तमान राम्य को स्थापना... दिर्दु मुस्लिम संपप शिथिल् ... ? ह ही” १-पेतिशासिक ग्--पिछतले काल की भपेछा अनेक मंए रूपों में प्राप्त दो मसुख चपबिमाग.... दर क-बैन ऐतिहासिक गए प० ६७-७३ / पांच प्रफरों में ' इसका वर्गीकरण ... अ-बंरावकी -..5सके प्रमुख बिपन -गद्य के टुदाइरण आ-पुटाबली... प्रमुख , विपय... गगय का हृदाइरस पसुख माप परुंटाइखियां १-कडुबामत पृदटाबली ०-नागोरी हु कागच्छीय पदडाबली ३-बंगइगर्द पदराइली ४-पिपक़क शास्रा पदूटाबकी ५-तपागच्छ् पद्टापशी इन पटटातलियों का माइत्य -.गए के बदाइरण.... इ-वफ्तर बी रेनिक ब्यापारों की डापरी....रौकी में संपइ नाप का जदाइरस... ई पेिदासिक टिप्रणं :-श्नके बिपय गय षय इदाइरण प्र-दतपत्ति पर थ:...परमुख चिंपम माप मिथ. है-अजबसतों त्पत्ति ०-रिपमतोत्पस्ति .. ग् का टदाइरण श-जैनेतर ऐतिदासिक गघ पू० ७३ १०४ हि डर राबाजय या स्वतंत्र रूप से खिस्ता गया एंतिदासिक विषरण सपात फे नाम से प्रसिद्ध... क्यात साहिस्प....बयार्तों का पारम्म.... अकबर से पूर्व स्‍्बसका व्मभाव नअकबर की इतिहास पिथदा का प्रमाष....”साइने अकदरी” के इपरन्त




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