सन्यासिनी | Sanyasini
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विज्ञानरत्न जगदेव सिंह - Vigyanratan Jagdev Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला परिच्छेद
उुमानाथ साधारण ग्रहस्थ थे । एक जोड़ी बैल, एक गाय, उसका
बछुड़ा मुन्नी, पाँच-छुः बीघा खेत, एक छोटा-सा मकान
और बाग--यहीं उनकी सम्पत्ति थी । गाँव-घर में इनकी ईमानदारी
तर सचाई प्रसिद्ध थी । जहाँ कहीं पद-पंचायत होती, ज़रूर बुलाये
जाते श्रौर निपटारा भी ऐसा करते कि दूध का दूघ श्र पानी का
पानी । इनकी श्रप्रतिभ न्याय-शक्ति की सभी प्रशंसा करते । इस मामले
मं इनकी प्रसतिद्धि देख कर सरकार की तरफ़ से कई बार “असेसर” बनने
के लिए कहा गया, मगर इन्होंने यह कह कर बराबर टाल दिया कि
“बह जगह बड़ों श्र जीहुजूरों के लिए है, द्वम गरीब आदमी अपने
गरीबों की दुनिया में ही बड़े आ्रानन्द से हैं ।”” ठकुर-सुहाती करना तो
इन्हें जरा भी नहीं आ्राता था । इनकी पत्नी सुखरानी श्रपने पति की
इस नेकनामी से प्रसन्न तो अवश्य होती थी, लेक्नि ऊपरी तौर पर इनके
रोज के कारनामे देख कर बिगड़ा भी करती थी । वह अपने पड़ोसिनों
और उमानाथ के मित्रों के सामने पतिदेव को खूब श्राड़े हाथों लिया
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