भाषा शिक्षण और उसका उद्देश्य | Bhasha Shikshan Aur Uska Uddeshya

Bhasha Shikshan Aur Uska Uddeshya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसपर रद्द कक नर, भाषा-शिक्षण : अजेन और अधिगम / 197 आंटी से नया शब्द 'आंटा' बना डाला ! यों यह उल्लेख्य है कि बच्चे वाक्य की संरचना पहले आत्मसात्‌ करते हैं तथा रूपों की अपेक्षाकृत बाद में । 1.6. जहां तक बच्चे द्वारा उच्चरित प्रारंभ के निरथेक ध्वनि-अनुक्रमों में अर्थ भरने का प्रश्न है, यह काम परिवार या समाज के लोग करते हैं । बच्चा यों ही खेल-खेल में पापा, मामा कहता है। “पापा कहने पर पिता की ओर दसरों द्वारा संकेत करने तथा 'मामा' कहने पर मां की ओर संकेत करने के आधार पर बच्चा, इन शब्दों से संकेतित व्यक्तियों को संबद्ध कर लेता है। इस तरह, दसरों द्वारा, संकेत करते हुए शब्द के उच्चारण का बच्चा अनुकरण के स्क उन शब्दों को बोलना तथा सूर्त व्यक्तियों, वस्तुओं और क्रियाओं से संकत क आधार पर जोड़ना शरू करता है। इस प्रकार शब्दों क॑ मृत अथ स उसका साक्षात्कार होता है, और ये ध्वनि और अथ क संबंध उसक मस्तिष्क में बेठ्ते चले जाते हैं । उन शब्दों के स्वयं प्रयोग करने और अपेक्षित परिणाम पाने पर उसकी अथे की समझ और भी बलवती होती जाती है । ऐसा भी होता है कि बहुत- से शब्दों के अर्थ प्रारंभ में वह बहुत ठीक नहीं समझ पाता, कितु लोगों के भाषा- प्रयोग, संदर्भ और शब्दों के साहचयं के आधार पर धीरे-धीरे वह ठोक अथ पकड़ लेता है । एक शब्द के कई अर्थ हों तो एक समय में वह एक ही अथे सीखता है--. वह अर्थ, जिसका उसे प्रसंग विशेष में किसी भी रूप में सामना करना पड़ा हो।. प्रारंध में उसके अर्थ में अतिव्याप्ति दोष भी खूब होता है। चार पर क जानवर से 'गाय' रूप में उसका परिचय होने पर सादृश्य के आधार पर भैंस, घोड़ा, बकरी सभी उसके लिए प्रारंभ में 'गाय' होते हैं, और फिर धीरे-धीरे ज्ञान के साथ अर्थ का संकोच प्रारंध होता है तथा भैंस, घोड़ा, बकरी, आदि क अथ से परिचित होने पर “गाय' का अर्थ केवल गाय” रह जाता है। ऐसे ही हर पेय दूध', हर खाना “रोटी, हर पुरुष 'पापा', हर स्त्री 'समी' के उदाहरण भी बच्चों की प्रारंभिक भाषा में देखने में आए हैं । 1.7. लगभग डेढ़ साल तक बच्चा कछ शब्दों को जान तो जाता है कितु भाषा की संरचना का कोई तत्त्व कदाचित नहीं ग्रहण कर पाता ! इसके बाद ही भाषिक संरचना आत्मसात करने की दिशा में वह आगे बढ़ता है । पहले वह एक शब्द (दूध-्न्दूध दो, ममन्-पानी चाहिए) के वाक्य का प्रयोग करता हैं, : और फिर दो शब्दों के वाक्य बोलता है, जिसमें व्याकरणिक कोटियां बड़ों की भाषा जैसी नहीं होतीं । उदाहरण के लिए नाना गाड़ी न्>नाना की गाड़ी, पापा चाय >-पापा की चाय। यहां 'नाना' या 'पापा' संज्ञा है, जो विशेषण का काम कर रहे हैं । दो शब्दों के वाक्य में एक को केन्द्रक शब्द (ऐश 010) तथा दूसरे - को मुक्त शब्द (0060 कण) कहा गया है । मैं इन्हें क्रमश: “कन्द्रक शब्द और “अकेन्द्रक शब्द' कहना पसंद करूंगा । केत्द्रक शब्द प्राय: सर्वनाम (वो आया >वह आया, मेरा भैया), विशेषण(एक बिस्कुट, यह गुड़िया; और पानी ),और




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