झरोखे | Jharokhe

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Jharokhe by सुदर्शन - Sudarshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मगर आदमीके दिलर्म हैरानी पैदा हुई, और उस हैरानी ने कद्दा-- पता नह्दीं इन परदोंके अंदर क्या है, जो तेरे अँघेरोंमें चमकता हे, और जो तेरी उदासियोंमें गाता है ।” आदमीने अपनी हैरानीकी बात सुनी और उन परदोंको फाड़ डाला । और उनके अंदरसे जमीनोंका सोना, और समुद्ों के मोती, और आसमानोंके तारे निकले । ओर आदमी अपने मनमें खुश हुआ, कि मुझे यह खुशीकी चीज़ें मिल गई हैं । मगर जब रात हुई, तो उनमें उनका प्रकाश न था, और जब दिन निकला, तो उनमे उनके गीत न थे । अब वद्द आदमी अपना सिर पत्थरोॉपर पटकता है, ओर चाहता दै, कि वह परदे फिरसे सिल जाएं, और वह मोहरें फिरस लग जाएं । मगर परदे सिलते नहीं, मोहरें लगती ३ 3 नद्दीं । ओर आदमी रोता दै | न्चार




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