झरोखे | Jharokhe
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मगर आदमीके दिलर्म हैरानी पैदा हुई, और उस हैरानी
ने कद्दा-- पता नह्दीं इन परदोंके अंदर क्या है, जो तेरे
अँघेरोंमें चमकता हे, और जो तेरी उदासियोंमें गाता है ।”
आदमीने अपनी हैरानीकी बात सुनी और उन परदोंको
फाड़ डाला । और उनके अंदरसे जमीनोंका सोना, और समुद्ों
के मोती, और आसमानोंके तारे निकले । ओर आदमी अपने
मनमें खुश हुआ, कि मुझे यह खुशीकी चीज़ें मिल गई हैं ।
मगर जब रात हुई, तो उनमें उनका प्रकाश न था, और
जब दिन निकला, तो उनमे उनके गीत न थे ।
अब वद्द आदमी अपना सिर पत्थरोॉपर पटकता है, ओर
चाहता दै, कि वह परदे फिरसे सिल जाएं, और वह मोहरें
फिरस लग जाएं । मगर परदे सिलते नहीं, मोहरें लगती
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नद्दीं । ओर आदमी रोता दै |
न्चार
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