साहित्य एवं कला में दशावतार | Sahity Avam Kala Men Dashavatar

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Sahity Avam Kala Men Dashavatar by सतेन्द्र सिंह - Satendra Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसी प्रकार के कई अन्य मंत्रों में इन्द्र को माया के द्वारा भिन्न-भिन्न रूप धारण करने वाला बताया गया है। ऋग्वेद में कथित माया शब्द अनुवर्ती साहित्य में वर्णित माया के अर्थ में भिन्न अर्थ रखता है। आचार्य सायण ने ऋग्वेद में वर्णित माया का अर्थ शक्ति, ज्ञान अथवा अत्मीय संकल्प आदि किया है। ऋग्वेद में एक मंत्र में इन्द्र को ऋंगवृष के पुत्र का रूप धारण करने वाले वाला कहा गया है। जिसे अवतारवाद का वैदिक बीज रूप स्वीकार किया जा सकता है। भागवत्‌ पुराण के अनुसार ऋग्वेद के दशम्‌ू मण्डल में वर्णित पुरुषसूक्त में पुरुष को भगवान का प्रथम अवतार स्वीकार किया गया है। इस प्रकार यह पुराण पुराणोक्त विष्णु के नानावतारों का मूल ऋग्वेदोक्त इसी पुरुष रूप को मानता है।2” वस्तुतः अवतारों का आरम्भमिक संकेत स्पष्ट रूप से शतपथ ब्राह्मण में मिलता है इस ब्राह्मण ग्रंथ में वराह** मत्स्य,** कर्म*९ तथा वामन“”' अवतारों का उल्लेख उपलब्ध होता है। उक्त ब्राह्मण में वराह को पृथ्वी का पति अर्थात्‌ प्रजापति कहा गया है। ज्ञातव्य है कि प्रजापति के वराह रूप धारण करने का वृत्तान्त तैत्तिरीय ब्राह्मण काठक संहिता* तैत्तिरीय संहिता* एवं तैत्तिरीय 36. ऋग्वेद 8.17.13 37. भागवत पुराण 1.3.1. तथा 1.3.4 जगृहे पौरुष॑ रूप॑ भगवान महदादिभिः संभूत॑ षोडशकलमादौ लोकसिंसृक्षया । । एतन्नानावताराणां निधनं बीजमब्ययम्‌। यस्यांशांशेन सृज्यन्ते देवतिरयडनरादयः । । 38. झ० ब्रा० 14.1.211 39. वही 1.8.1 40. वही 7.5.1 41. वही 1.2.5 42. तैत्तिरीय ब्राह्मण 1.1.3.6 43. तैत्तिरीय संहिता 7.1.5.1 44. काठक संहिता 8.2 ( 14 )




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