सम्यक्त्व शल्योद्धार | Samyakatvasalyodhar
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(हे)
पुर नियगप्पा निय कप्पियेकमरणं आपवेमाणा एशशुपे
माणा 1जणुपाइमाणं भजणयाण [इलता 1सखरदा ।नदता
गारिदता पारइवता चइयतात्थार साहु हिख/यस उड़ ठप
स्सात ॥
भावाथे--घ्रयसठमे ( ६३ ) भव मध्यसड के विपे आवक घनीये के कुछ
में जुदे ज्ुदे उपजेंगे, वाद वे वाइस वनीये वाव्याचस्था को छोड़ के विज्ञा
नसहित, दुष्ट, घीठ कुशीछिये, परकों ठगनिवाले, अविनाति पूरे सचकमिथ्यात्व
भाव से जिन माग के प्र व्यनीक, ( दात ) देव शुरू के सिंदक, तथा रूप जे
श्रमण मादण साधु उनके साथ बुष्टता के करने घाले, निज प्ररूपित घ्मे'
के मनजान; दजारों चर नारियों के आगे अपने आए फदपना करके फुमार्ग
को सामान्य प्रकार कदते हुए, थिशेष प्रकारे फदते हुए, हेतु रृष्यंत प्ररूपते
हुए, जिन प्रतिमा के तोड़ने वाठे, दहोलना करते हुए, सखीसना करते हुए,
निंदा करते हुए, गरदा करते हुए, परामव करते हुए, खेत्य ( जिनरप्रति
मा) तीर्थ, भार साधु साध्दी को उत्थापेंगे.॥
तथा इसी खूत में कहा दें, कि श्रीसंघ की राशि ऊपर ३३३ वर्ष
की स्थिति घाला घूमकेतु नामा ग्रह चेठेगा, आंरातसके प्रभाव से कुसत पेथ'
श्रकट होगा, इस मूजिव दुढकों का कुमत पंथ प्रकट हुआ है. भोर तिस्र
श्रदकी स्थिति अब पूरी दो गई दे, जिससें प्रति दिन इस पंथ-का तिकंद्न
होता जाता है ! आत्मार्थी पुरूपों ने यदद वात वग्ग च्यूलिया खूच में देख लेनी ॥
समकितसार ( धल्य ) नामा पुस्तक के दुसरे पृष्ट की १९. भी पंक्ति
में जेठमल्ल ने लिखा दे कि “सिद्धांत देखके सम्वत [ १५३१ ] में दबा धर्म
प्रइत हुआ” यद्द दिलकुछ झूठ हे क्योंकि श्री भगवती खुत्र के. २० में घातक
के < में उददेशे में कददा दे किमगवान् मददावीर स्वामी का शासन एक चीख
हजार [ २१००० ) च्पे तक रदेगा सो पाठ यह है ॥
गोंयमा जंबुद्दीवे दीपे भारहेवास इमीसे उस्सोपिगीएं ममें
एकवीस वासंसदस्सांद तिथ्ये अशुसिल्जिंस्सत्ति ॥मंष्श०र०
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भावायेः--दे गौतम ! इस अबूदीप के भरतकेत्र के' चिषे इस उत्स+
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