भक्त - चरितावली भाग - 1 | Bhakt Charitawali Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
51 MB
कुल पष्ठ :
399
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३ मक्त-चरिवादली | ब्रथस
1 हिन्दुओं के सन्दिरों में
फोड़ डालते हैं; सागवत
दि धघर्सग्रन्थां को ज़दरदस्ती छीनकर थ्ाग सें जला डाल
तल ही
से
श्र
पार सक्त राधघुधों का पागल बताधर उनका उपहास
करते दथा उनके साथ चुरा व्यरहार बरतें हैं । ऐसे दुःससय
से थडि स्वयं सवा छवतार ने लेंगे दा देश की सद्ति का
कई उपाय सहीं है ।”” हुरिदास की यह बात सुनकर अद्भुत
ने छट्टा-+छुरिदास, सगवान इसका उपाय करेगे, तुम चिन्ता
सह करा !?*. झट्ेत पे. मैइ से यह झमयबाणी सुनकर दुरि-
देनां हाथ उठाकर श्रानन्द से दया करने लगे ।
झ्र्ठेत ब्ाचार्य के! दृढ़ विश्वास हा गया था कि नवद्वोप में
गोरचन्द्र जन्स हंकर सक्ति की बाढ़ दें नर-नारियों को पाधित
करग दरार उनका कामना पूण हागी । इसके लिए वे उस
#५ ष्न्न्द ढक, ९, कि था कि प्म्
पुण्यसूसि नवद्वीप थें रहने के लिए गये ।. उस समय भ्द्वत
ग्राचाये भलेक विषयों सें व्युत्पन्न हो चुके थे ! ज्ञान-शिक्षा
देना उस समय ब्राह्मण-पण्डितों के जीवन का एक प्रघान व्रत
था | झ्रट्टवाचाय दो दाल-रोटी की चिन्ता न थी । उन्होंने
ज्ञान-शिक्षा देने के लिए नवद्गवीप में चतुष्पाठी स्थापन करके
विद्या-दाल करना झारम्भ कर दिया ! वे छात्रों को! श्रीमद्धाग-
वत, गीता, वेद घोर रखतिशाख की शिक्षा देने लगे ! दिन को
ते! वे पढ़ाने-लिखाने में निरत रहते थ्रार सायइाल की हरि-
दास के साथ हरि-युएनकथन धार इरिसड्ीतन करते थे |
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