राजिस्थान के जैन शास्त्र भंडारों की ग्रन्थ सूचि भाग - २ | Rajasthan Ke Jain Shastra Bhandaron Ki Granth Suchi Part - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
425
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७ )
किया जा रद्द है और शीघ्र ही करीब २५०० पदों का एक बरहदू संग्रह प्रकाशित करने का विचार है । जिससे
कम से कम यह तो पता चल सकेगा कि जैन विद्वानों ने इस दिशा में कितना महत्त्वपूर्ण कार्य किया है. ।
गुटकों का मह--
घास्तव में यदि देखा जावे तो जितना भी महत्त्वपूर्ण एव अजुपलब्ध साहित्य मिलता है. उसका
ध्रधिकांश भाग इन्हीं गुटकों में संग्रहीत किया हुआ है.। जैन श्रावकों को शुटकों में छोटी छोटी
रचनायें संग्रहीत करवाने का वडा 'चाव था । कभी कभी तो वे स्वयं ही संग्रह कर लिया करते थे और कभी
श्यन्य लेखकों के द्वारा संग्रह करवाते थे । इन दोनों भरडारों में भी जितना हिन्दी का नवीन साहित्य मिला
है उसका आधे से अधिक भाग इन्द्दीं गुटकों में संग्रह किया हुआ है. । दोनों भण्डारों में गुटकों की संख्या
३०४ है । यद्यपि इन गुटकों में सर्वसाधारण के काम आने वाले स्तोत्र, पूजायें; कथायें ्ञादि की ही अधिक
संख्या हे किन्तु महरचपूर्ण साहित्य भी इन्हीं गुटकों में उपलब्ध होता है. । गुटके सभी साइज के मिलते
है । यदि किसी गुटके मे १८-२० पत्र ही हैं. तो किसी किसी रुटके से ४००-५०० पत्र तक हैं । ठोलियों के
मन्दिर के शास्त्र भण्डार के एक शुटके में ६५४ पत्र है. जिनमें ४७ पूजाओं का संग्रह किया हुआ है. । कुछ
गुटकों में तो लेखनकाल उसके अन्त से दिया हुआ होता हे किन्ठु कुछ गुटकों में बीच बीच में भी लेखन-
काल दे दिया जाता हे अर्थात् जैसे जैसे पाठ समाप्त होते जाते हैं वेसे बेसे लेखनकाल भी दे दिया
जाता है. ।
इन शुटकों में साहित्यिक एवं धार्मिक रचनाओं के अतिरिक्त 'आायुर्नदू के जुसखे भी बहुत
मिलते है । यदि इन्ही जुसखों के आधार पर कोई खोज की जावे तो वह आयुर्वेदिक साहित्य के लिये
महत्त्वपूणणं चीज प्रमाणित हो सकती है । ये लुसखे हिन्दी भाषा मे अनुभव के ्याधार पर लिखे
हुये हैं. ।
'ायुर्वेदिक साहित्य के अतिरिक्त किप्ती किसी शुटके में ऐतिहासिक सासग्री भी सिल जाती
है । यदद सामग्री मुख्यत राजाओं 'अथवा वादशाहों की वंशावलि के रूप में होती है । कौन राजा कब
राज्य सिंहासन पर बैठा तथा उसने कितने वर्ष, कितने मदिने एवं कितने दिन तक शासन किया शादि
विवरण दिया हुआ रहता है. ।
ग्न्थ-सची के सम्बन्ध में--
प्रस्तुत अन्थ-सूची में जयपुर के केवल दो शास्त्र भरडारों की सूची है । हमारा विचार तो एक
भण्डार की और सूची देना था लेकिन म्न्थ सूची के अधिक पत्र शो जाने के डर से नहीं दिया गया |
मस्तुत अन्थ सूची में जिन नवीन रचनाओं का उल्लेख श्ञाया है. उनके छादि अन्त भाग भी दे दिये गये हैं
जिससे विद्वानों को ग्रन्थ की भाषा, रचनाकाल, एवं धन्थकार के सम्बन्ध में कुछ परिचय मिल सके ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...