धरती का पेड़ | Dharati Ka Ped

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Dharati Ka Ped by हेतु भरद्वाज - hetu bhardwaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वतन्त्रता के पश्चात्‌ यादवेन्द्र धर्मा 'नन्द्र' ने हिन्दी कथा साहित्य मे अपना स्थान बनाया है । राजस्थानी जन-जीवन की झाँकी सही अर्यो में चन्द्र की कहानियों में ही मिलती है । वे स्वय कहानी में दो चोजो को महत्व देते है-- रोचकता और सोदेश्यता--इन दोनों चीजों का भरपूर निर्वाह हमें उनकी कहानियों में मिलत। है । 'चन्द्र' की कहानियों के विपय जीवन के विविध, लाधिक, राजनीतिक, सामाजिक, धािक, पारिवारिक क्षेत्रो से चुने होते हैं तथा समस्या की गहराई तक जाना 'चन्द्र' की कहानियों को गरिमा प्रदान वरता है। सहजता, गरलता तथा स्पप्टता 'चन्द्' की वहानियों के विशिष्ट गुण है। उनकी कहानियों के पात्र अत्यन्त सजीव तथा मानवीय सवेदमाओ से भीगे हुए हैं। राम वो हृत्या', “एक देवता की कथा' से लेकर 'उस्मातिया' जनक की पोड़ा' तथा 'अजीव दास तक 'चन्द्' की कहानी यान पर्याप्त समूद्ध है तथा उनके बादत श्री रामदेव आचार्य ने ठीक हो लिखा है, “चन्द्र के लिए बहानी लिखना वोई औपचारिवता नही है, वह्कि उनके कलाकार सन वा रचनात्मक धर्म है । न तो व्यावसाधिक चोचलेवाजी से वे क्षतिग्ररत हुए ने उन्होंने जिन्दगी का समन्नोता-परम्त नक्शा रचा । अपनी बुनियादी आस्थाओों मे कभी विरक्तन होने वाले चन्द्र जीदन के सन्धि-प्रस्तावों के समक्ष कभी समपित नहीं हुए ।' चन्द्र पुरानी तथा नई पीढ़ियो दे सेतु हैं, विन्तु वया- लेखन के शेत्र में वे सर्वाधिक सरिय लेखक है । चन्द्र वी तरह ही मोहनसिंह सेंगर तथा दारद देवडा भी नयी तथा पुरानी पीढ़ी के दीच मे खडे है। सेंगर की कहानियों से समस्याओं वी प्रधानता है तथा उनका स्वर विद्रोह वा स्वर है, पर वह अधिक ययायंवादी तयां नग्न है। उनवी वहानियाँ प्रगतिवादी विचारधारा तथा सामाजिय समरयाओं में सम्पृत्त हैं, किन्तु व हानियो मे समस्याओं का सरलीकरण अधिक मिलता है । शरद देवडा में अपनी समस्याओ में जीवन के विभिर्न स्तरों, स्थितियों तथा विसगतियों वो ढंग से देता और समझा है तथा 'मास्टरनों वाई “भूस' पविडकी वी चौसट' जेसी वहानियाँ शरद देवडा वी कया-इथ्टि वो परिचायक है, पर पत्रवा रिता के धति झुवाव ने देवडा के क्या-रेसन वो आहत विया है। बीच की पीढ़ी के एक और वयादार हैं-विशन मिर्हां, जिनकी बहानियाँ सामिक हैं, रोचद है, निन्तु उनकी कहानियाँ गहरा प्रभाव नहीं छोडती । फिर भी 'हरामी' तदा 'साइली' उनकी अच्छी बहानियाँ कहो जा सबती हैं जिनमे गरोव तथा निम्न वर्ग वी आधिव विपमताओं का खिप्रण हुआ है। बीच पी पीडी के पहानोदारों में “चन्द हो ऐसे बयारार है जिन्हें हिन्दी चहानी के सशक्त टस्वाझर के रूप में स्पाति मिली है । भमिता 11




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