मेरे समकालीन | Mere Samakalin
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
373
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ही श्द न
झपूर्व थी । यह भ्रक्षरण' सत्य है कि वे जनता के झाराष्यदेव थे, प्रतिमा
थे, उनके वचन हजारो प्रादमियोके लिए नियम श्रौर कानूनसें थे । पुरुषोमे
परुष-सिह ससारसे उठ गया। केदरीकी घोर गर्जना विलीन हो गई ।”
ही भ्रनुभूतिकी तीव्रता श्रौर वास्तविकताका श्ौर भी सुदर चित्रण
उनके सस्मरणोंमे हुमा हैं। घटनाझओ श्रौर बार्तालापके द्वारा उन्होने
वण्य॑ व्यक्तिकी बाहरी शभ्रौर झ्रातरिक सुदरता-कुरूपताकी रेखाभोकों
इस प्रकार उभार दिया है कि इसके पूर्ण परिपाकके साथ-साथ व्यक्तिका
सपूर्ण चित्र हृदयपर पत्थरकी लीक बन जाता है । कस्तूरबा गाधी, बाला-
सुदरम्, देगबधुदास, घोषाल बाबू तथा बासती देवी आदिके सस्मरण इस
दृष्टिसि बहुत ही सदर बने है:
“में घोषालवाबूके पास गया । उन्होंने मुझे नीचेसे ऊपर तक देखा ।
कुछ मुस्करायें और बोले “मेरे पास कारकुनका काम है । करोंगे ? ”
मेने उत्तर दिया--“जरूर करूंगा । श्रपने बस भर सबकछ करनेके
लिए में ग्रापके पास श्राया हू
“'नवयुवक, सच्चा सेवा-भाव इसीको कहते
कुछ स्वयसेवक उनके पास खड़े थे । उनकी श्रोर मुखातिब होकर
कहा--''देखत हो, इस नवयुवकने क्या कहा ?”
फ़िर मेरी श्रोर देखकर कहा, “तो ला यह चिट्ठियोका ढेर . . .देखते
हो न कि सैकड़ों आदमी मुक्से मिलने श्राया करते है। भ्रव मे उनसे
मिलू या जो लोग फालत् चिट्रिया लिखा करते हे उन्हे उत्तर दू। इनमे
बहुतेरी तो फिजूल,/होगी, पर तुम सबको पढ़ जाना । जिनकी पहुंच लिखना
जरूरी है उनकी पहुच लिख देना झौर जिनके उत्तरके लिए मुकसे पूछना
हो पूछ लेना ।”
उनके इस विश्वाससे मुझे बडी खुशी हुई । श्री घोषाल मुभ्के पह-
चानतें न थे ।. मेरा इतिहास जाननेंके बाद तो कारक्लका काम देनेमे
उन्हे जरा शर्म मालूम हुई, पर मेने उन्हे निष्चित कर दिया--“'कहा में
। हैं शक
रे ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...