प्रथ्वी और अंतरिक्ष | Prithiv Aur Antariksh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रारम्भ
. गुफ़ाएँ प्राचीन मानव की शरण स्थलियाँ थीं । थे युफाएं थूंरोपं,
प० 'एशिया, युरेशिया के घास-मंदानों, ' चीन, भारत; 'अफ़रीका, उत्तेर
तथा 'दक्षिण श्रमरीकां और श्रांस्ट्रेलिया में पायी गई हैं। यें 'घार्टिधों
नंदियों; 'कीलों या समुद्रों पर स्थित थीं । इन घाटियों की जलवायु “कंई-
कई वार: वेदल चुकी है'। कुछ भी लें, झ्रव सुख चुकी हैं; जहाँ कभी नदी
बहा करती थी, वहाँ अब दंजरं रेगिस्तान है ।श्ौर जगहों पर संमुद्रों ने
बढ़कर गुफ़ाझ्रों को जल-प्लीविंत कर दिया है ।
गुफ़ाश्रों के फ़ू्नों की खुदाई से पता चला है कि 'श्रादंमी “को “वहीँ
बार-वार श्राना-जाना हुमा है । प्रारम्भिक मनुष्य को पुंथ्वी के बारे में
बा मालूम था ?
कुछ उन घटनाश्रों पर विचार कीजिए,'जिनका श्राधुनिक भु-भौतिकी- '
विद श्रध्यंयन श्रौर वैज्ञानिक ढंग से उपयोग करता है । प्रारम्भिक मेंनुष्य
इन घटनाओं: का उपयोग 'सहज ज्ञान श्र बुद्धि से करता थी । गुफ़ा-
वासी को गुरुद्व की तनिक भी कल्पना न थी, फिर भी वह 'गुरुत्व “का
' “उपयोग'.कर संकंता था । वह गढ़ा खोदकर उसमें गिरने वाले जानवर
' को फँसा .सकता था । 'वह घोड़ों या हिरनों के भुडों को डराकर चट्टानों
से खट्ड में गिरा सकता था । उसने माला बनाने की कला श्रौर कौशल
पर माहिरी हासिल कर ली थी 'श्रौर फिर शभाले की मार तथा जोर
, बढ़ाने के: लिए उसे: फेंकने का एक-लोलंक (पेंड्लमं) यंत्र बना लिंयां था |
उसने तीर और कमान को विकसित किया श्र तीह का निशाना ऊँचा
. श्र
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