प्रथ्वी और अंतरिक्ष | Prithiv Aur Antariksh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prithiv Aur Antariksh by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रारम्भ . गुफ़ाएँ प्राचीन मानव की शरण स्थलियाँ थीं । थे युफाएं थूंरोपं, प० 'एशिया, युरेशिया के घास-मंदानों, ' चीन, भारत; 'अफ़रीका, उत्तेर तथा 'दक्षिण श्रमरीकां और श्रांस्ट्रेलिया में पायी गई हैं। यें 'घार्टिधों नंदियों; 'कीलों या समुद्रों पर स्थित थीं । इन घाटियों की जलवायु “कंई- कई वार: वेदल चुकी है'। कुछ भी लें, झ्रव सुख चुकी हैं; जहाँ कभी नदी बहा करती थी, वहाँ अब दंजरं रेगिस्तान है ।श्ौर जगहों पर संमुद्रों ने बढ़कर गुफ़ाझ्रों को जल-प्लीविंत कर दिया है । गुफ़ाश्रों के फ़ू्नों की खुदाई से पता चला है कि 'श्रादंमी “को “वहीँ बार-वार श्राना-जाना हुमा है । प्रारम्भिक मनुष्य को पुंथ्वी के बारे में बा मालूम था ? कुछ उन घटनाश्रों पर विचार कीजिए,'जिनका श्राधुनिक भु-भौतिकी- ' विद श्रध्यंयन श्रौर वैज्ञानिक ढंग से उपयोग करता है । प्रारम्भिक मेंनुष्य इन घटनाओं: का उपयोग 'सहज ज्ञान श्र बुद्धि से करता थी । गुफ़ा- वासी को गुरुद्व की तनिक भी कल्पना न थी, फिर भी वह 'गुरुत्व “का ' “उपयोग'.कर संकंता था । वह गढ़ा खोदकर उसमें गिरने वाले जानवर ' को फँसा .सकता था । 'वह घोड़ों या हिरनों के भुडों को डराकर चट्टानों से खट्ड में गिरा सकता था । उसने माला बनाने की कला श्रौर कौशल पर माहिरी हासिल कर ली थी 'श्रौर फिर शभाले की मार तथा जोर , बढ़ाने के: लिए उसे: फेंकने का एक-लोलंक (पेंड्लमं) यंत्र बना लिंयां था | उसने तीर और कमान को विकसित किया श्र तीह का निशाना ऊँचा . श्र




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now