नानेश वाणी (आत्मा साक्षात्कार) | Nanesh Vani (aatma Sakshatkar)

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Nanesh Vani (aatma Sakshatkar) by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ ्छि अध्याय आठ आत्प-सयीक्षण के नव सुन सूत्र * ७ ' मैं मौलिक रूप से परम प्रतापी हूँ, सर्व शक्तिमान हूँ ! मुझे सोचना है कि मैं अपने बधना को कैसे तोड सकता हूँ? मेरी मुक्ति का मार्ग किघर है? अपनी अपार शक्ति के समीक्षण ध्यान मे मुझे आत्म-साक्षात्कार होगा कि मैं अपने कर्मों के सारे बधन कठिन तप की आराधना से कैसे तोड सकता हूँ और मुक्ति के मार्ग पर कितनी त्वरित गति से प्रगति कर सकता हूँ? मैं अपनी अनन्त शक्ति की अनुभूति लूगा, उसे लोक कल्याण की दृष्टि से सक्रिय बनाऊगा तथा उस मौलिक परम प्रतापी एव सर्वशक्तिमान स्वरूप को अनावृत्त करूगा।




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