राय - रत्नावली भाग - 3 | Ray - Ratnawali Bhag - 3

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Ray - Ratnawali Bhag - 3 by कवि रायचन्द - Kavi Raychand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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10 |] [_ राय-रत्नावली 'पालक' पुरोहित तेह, रीसज पाछली-- इणा माने खिष्ट कियो हुंतो ए ॥ 8 ॥। श्रो संजम ले. श्रायों. शझरांहिं: वेर वालू* माहरो-- इणने फल देखाय दूं ए ।॥ 91 वाग वारे वेलू रेत, जठे श्रायो शआ्राघी रात रा, पुरोहित छाने पापियों ए. ।॥। 10 ॥। पांचसी.. खड़े दिया... गाड, ढालां पांचसौ -- गाडी जुदी जुदी जायगा ए ।॥1 11 ॥। तीर कमा तेम, वन्दरक ने बरछियां, कुहाड़ा ने कटारियां ए ॥ 12 ॥। संग्रामना स्व साज, धरती मांदे धर दया पुरोहित कपट ईसी कियो ए ॥ 13 ॥। साधु तौ बाग मभार, खंधक श्ाचार्य-- परिवार ज्यांरो पांचसौ ए ।॥। 14 ॥। पुरोहित पापी जीव, कुबुद्धि या केलवी-- साघाने मारवीं भणी ए ॥ 15 ।। 1. यहां पर 2. लेक प्‌




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