मनुष्याहार | Manusyahaar

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
6 MB
                  कुल पष्ठ :  
245
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१९)
सवे प्रकार माननीय है कि शाकाहारसे शारीरिक और मानसिक बछ
दोनों की पुष्टि होती है ।
डाक्टर राजस कहते है कि मुझे शाकाहारी हुए करीब १३ वर्ष
हुए है । इन तेरह बेमि मुझे विदित हुआ कि मेरी सम्पु्ण इन्दियां
पहले की अपेक्षा अच्छी है और मेरा स्वास्थ्य भी अच्छा है। शाका-
हारी होनेसे मुझे कोइ हानि भी नहीं जान पड़ी, वरन हर प्रकारके
लाभ ही लाभ दिखाई पड़े । विज्ञानवेत्ता इस बात को कहते है कि
मास मे कुछ ऐसी वस्तुए मिली हुई होती है जो सर्वथा विषेली है ।
में ममझता हू कि मास अधिक तर मादक वस्तु की समान है । यह
मनुप्यमे केवल बेग बढाता है, परन्तु जब तक मनुष्य अपने को शक्तिसे
अधिक उपयोग में नहीं लाता है तब तक उसर्म बेगता थी नहीं आ-
सकती है । शाकाहारी मन॒ग्योमं एक विशेष बात यह होती है
कि उनमे सहन शुक्ति अधिक होती है । अब नब कि मे शाकाहारी
हु, यदि मुझे ठीक समय पर भोजन न भी मिले तो भी मुझे उस से कुछ
कष्ट नहीं मालम होता । भूत रूम आर जापानके युद्धसे बहतर मेरी
रायमे इस बात की असत्यताका उदाहरण कि मासभक्षण और
मदिरापानसे युद्ध में लडनेवाले बलवान सिपाही पेठा होते है, कहीं
न मिचगा ।
डॉक्टर जान चुड लिखते है कि डाक्टर होने के कारण मेरी इच्छा
है कि मे अपना वह अनुभव, जो मे ने अपने रागियो से प्राप्त किया है
प्रकट करू । मेरी राय में मासभक्षण अनावश्यक है । यह केवल
स्वास्थ्य को बिगाडनेवाला ही नहीं है किन्तु प्रकृति के विरुद्ध भी है।
दाकाहारी पहलवानों की अद्भुत सफलताओं से तथा इस बात से कि
					
					
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