मनुष्याहार | Manusyahaar

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Manusyahaar Ac 1349 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१९) सवे प्रकार माननीय है कि शाकाहारसे शारीरिक और मानसिक बछ दोनों की पुष्टि होती है । डाक्टर राजस कहते है कि मुझे शाकाहारी हुए करीब १३ वर्ष हुए है । इन तेरह बेमि मुझे विदित हुआ कि मेरी सम्पु्ण इन्दियां पहले की अपेक्षा अच्छी है और मेरा स्वास्थ्य भी अच्छा है। शाका- हारी होनेसे मुझे कोइ हानि भी नहीं जान पड़ी, वरन हर प्रकारके लाभ ही लाभ दिखाई पड़े । विज्ञानवेत्ता इस बात को कहते है कि मास मे कुछ ऐसी वस्तुए मिली हुई होती है जो सर्वथा विषेली है । में ममझता हू कि मास अधिक तर मादक वस्तु की समान है । यह मनुप्यमे केवल बेग बढाता है, परन्तु जब तक मनुष्य अपने को शक्तिसे अधिक उपयोग में नहीं लाता है तब तक उसर्म बेगता थी नहीं आ- सकती है । शाकाहारी मन॒ग्योमं एक विशेष बात यह होती है कि उनमे सहन शुक्ति अधिक होती है । अब नब कि मे शाकाहारी हु, यदि मुझे ठीक समय पर भोजन न भी मिले तो भी मुझे उस से कुछ कष्ट नहीं मालम होता । भूत रूम आर जापानके युद्धसे बहतर मेरी रायमे इस बात की असत्यताका उदाहरण कि मासभक्षण और मदिरापानसे युद्ध में लडनेवाले बलवान सिपाही पेठा होते है, कहीं न मिचगा । डॉक्टर जान चुड लिखते है कि डाक्टर होने के कारण मेरी इच्छा है कि मे अपना वह अनुभव, जो मे ने अपने रागियो से प्राप्त किया है प्रकट करू । मेरी राय में मासभक्षण अनावश्यक है । यह केवल स्वास्थ्य को बिगाडनेवाला ही नहीं है किन्तु प्रकृति के विरुद्ध भी है। दाकाहारी पहलवानों की अद्भुत सफलताओं से तथा इस बात से कि




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