सती - सारन्धा | Sati Sarandha

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Sati Sarandha by रसि केन्द्र - Rasi Kendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रेस की असाव धान पंक्ति अथुद्ध ( जो छपा है (ले जे ,े नदी ली. 0. प्री नगद पी न गा? जद, हा एट मैं. ही; हा ख अु हा : हा 5 मुद्। जो हॉना याइण जिसके ध जिस ““ ठोक कर ठोक सवन डा यवनें चिन्ता में चिन्ताये च्ायोजन ध च्जायोजन कर च्यूघुरो चर अधुरो सभ दर सभो जायगा जायेगा | छायगा अप रयेगा ॥ (च्ादि अन्तमें कासा नहीं है दोनों चोर कोसा चाहिए; समर का ससर को प्ाणा भर प्राणों इसारा सहारा देवों । मम रानों । को उन पर छिड़क रहे दो । क्यों उन पर डाल रहे हा रहा .जेक खाकर छुषचि छाकर सोर सती... ... कायर सपूत .. ... झटाये कक दिखाने दम रह गया जक कर छवि छक कर वीर सुतो, कायर कपूत कटाये ! दिस्वायें ।




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