मध्य गागेय मैदान में संस्कृतियो का उदभव एवं विकास प्रक्रिया | Madhy Gagey Maidan Men Sanskritiyo Ka Udbhav Evm Vikas Prakriya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम अध्याय मध्य गागेय मैदान की स्थिति, भौगोलिक परिदृश्य, जलवायु, वनस्पति और जीव जगतू, जल-स्रोत, सास्कृतिक अनुक्रम गया नदी भारत की अद्भुत सास्कृतिक धरोहर ही नहीं अपितु सदियो से भारतीय जनमानस की प्रेरणा का स्रोत रही है। अपने अपवाह क्षेत्र मे महान सस्कृतियो का उतार चढाव और मानव की उन्नति-अवनति की गाथा समेटे हुए इस पवित्र सरिता की महत्ता का वर्णन आदि काल से न केवल पौराणिक, अध्यात्मिक साहित्य मे मिलता है अपितु लौकिक साहित्य मे भी इसकी विशिष्टता एवं महत्ता की अनेकानेक कथाए और अन्तर्कथाए प्राप्त होती है । समय-समय पर भारत मे आने वाले विदेशी यात्रियो ने भी अपने यात्रा सस्मरणो और पुस्तकों आदि मे तत्कालीन भारतीय जनमानस मे व्याप्त इंनकी महत्ता का विस्तृत्त वर्णन किया है। यह प्राचीनतम काल से भारतीय सस्कृति की एकता एव पवित्रता की प्रतीक मानी गई है । लोक कथाओ तथा परम्पराओ मे इसे शक्ति देने वाली ' गगा माता ' कहा गया है । गगा प्रारम्भ से ही भारतीयों का आकर्षण रही है | चिरकाल से भारत की सास्कृतिक एकता का यह बंधन इतना अटूट तथा शक्तिशाली है कि कोई भी शक्ति इसे नष्ट नहीं कर सकी | जन मानस मे ऐसा विश्वास है कि गगा के दर्शन मात्र से ही मुक्ति मिल जाती है । गगा की दैवीय उत्पत्ति से सम्बन्धित अनेक कथाए एव किवदन्तियों प्रचलित हैं | प्राचीन भारतीय साहित्य मे गगा की परिकल्पना देवी के रूप मे, श्वेत वस्त्र पहने हाथ मे कमल लिये हुए तथा मकर पर बैठे हुए की गई है | ब्रदमवैवर्त पुराण मे शिव को गगा की प्रशसा मे गीत गाते हुए वर्णित किया गया है । गगा पापों से प्रायश्चित्त कराने का माध्यम है | जन्मजन्मान्तर से पापियो द्वारा किये गये पाप के ढेर को भी गगा को स्पर्श करती हुई वायु नष्ट कर देती है | जिस प्रकार |




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