मैं नेहरू से मिला | Me Nehru Se Mila
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मे नेहरू से सिलां १७
नर हिदुस्तीन च कि
नेहरू - इसमे क्या शक है। मिसाल के तौर पर हिंदस्तान..कें 'वारे में
किसी हिंदुस्तानी की या अग्रेज की लिखी हुई कोई भी--छुसीकिंताब जिसमे
यह बताया गया हो कि अग्रेजो की हुकूमत से हिंदुस्तान को क्या नुकसान पहुंचा
है, मुझे फौरन पसद आती थी ।
शॉड . और रूस में जो कुछ हुआ उसका पता आपको उसी वक्त चला
जब आप इगलेड में थे ?
नेहरू नही, वह तो बहुत बाद की बात है । इगलेड में अपने शुरू-शुरू
के दिनो में भी इटली के गणतत्र की कहानी का, सैजिनी, कैवूर और गैरिबाल्डी
का मुझ पर बहुत असर पडा था, आयर्लेड के आदोलन का मुझ पर असर पड़ा
था, वह तो नजदीक ही था । दरअसल, सिन्न फेइन के शुरू के दिनो मे मे एक
वार आयरलेंड गया भी था। मुझे उसमे बडी दिलचस्पी थी ।
सॉड मुझे याद नहीं पडता कि मेने आपकी किसी किताब मे इसका
जिक्र पढा हो।
नेहरू मे वहुत ही थोड़े अरसे के लिए गया था। मेने सिन्न फेइन के...
बारे में दो-एक किताबे पढी थी ।
लॉड आप सिफं सैर के ख्याल से गये थे या अपनी दिलचस्पी की वजह
से?
नेहरू : नही, मुझे बस आयलेंड मे दिलचस्पी थी । मैने दो-एक किताबें
पढी थी । इसके अलावा मुझे फ्रास के इनकलाब मे हमेंशा से दिलचस्पी रही
है। मेने उसके बारे में भी कुछ कितावे पढ़ी थी और उससे मेरे दिल में जोश
पैदा हुआ था। एक किस्म का हल्का-हल्का धुँघला-घुँघला, समझ लीजिये,
राष्ट्रवाद. आजादी के आदोलन, जो एक तरह की बराबरी
लाना चाहते थे... ये मोटी-मोटी बाते, .एक किस्म का ख्याली समाज-
वाद था, दरअसल वह वैज्ञानिक समाजवाद बिल्कुल नही था। जहाँ तक रूस
के इनकलाव का सवाल है, उस वक्त तो में हिंदुस्तान मे था, और अपने वापस
लौटने के वाद से हिदुस्तान की कौमी तहरीक से, भारतीय राष्ट्रीय आदोलन
मे फंस गया था । दरअसल, उस वक्त तक गाँधीजी भी मैदान में आ चुके थे
और मुझे ढालने मे उनका वहुत बडा हाथ रहा । दे
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