किसानों की समस्याएँ | Kisano Ki Samasyayen

Kisano Ki Samasyayen by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किसानों की समस्याएं किये गये नियर्नण से नियन्त्रण नहीं ल'गू करना दी श्रच्छा है। श्राज की दालठ में नियन्मणु के सिवा शरीर काई दूसरा राधा नहीं, लैकिन रास्ते में न छोड़कर इसे वां तक लागू करना चादिये, नदा तक बास्ठिव में उसकी श्रावश्यकता दे । सरकार इस रास्ते पर उठनी दूर तक नदीं जाना. चादती, जितनी की उसे चाहिये । फलतः राशनिग श्रौर तथाकथिउ गर्ल! चसूली, दोरनी कार्मो में सरकार व तक 'श्सफल रददी दै। इस जरा विसार से इत प्रश्न पर विचार करें। वर्तमान राशनिंग द्वारा देश की ४१ प्रतिशत श्रावादी की सोजन - ब्पवस्या की जाती दे, जिवका ब्यौरा इस प्रकार दे ४ ९४७ नियमानुसार मिर्घारिव राशनिग (स्टेचुटरी राशनिग) ५ परोड़ ३६ लाख श्नियमित राशनिग (ननस्टेचुरो राशनिग) ६ करोड़ ९९ जाख नियंत्रित बिदस्णु (फन्ट्रोल दिस्ट्रीब्यूलन) २ करोड़ ८ लाख लेकिन चास्वव में यद केवल पहली श्रेणी श्रर्थात्‌ नियमानुसार निर्वौरिठ राशनिग क्षेत्र के लोगों तक ही सीमित दे, जिनकी बंख्या कुल शादी का १५.४ प्रतिशत मान दी है । इसमें ८० प्रतिशठ रद के लोग हैं श्रीर २० प्रतिशव मात्र गांव के । लेकिन इस वतके को खिलाने के लिये मी, जिनमें ५ करोड़ ३६ लाख श्रादमी श्रा जाते हैं, १२ श्ौत दर बालिय के दिसाव से हमे ५० लाख टन रास्ले की श्र।वश्यकता पड़ेगी | सरकार इस माग को गल्ला बनी तथा! वाद, से शनाज मंगर कर इस म्रकार पूरी करती है :-- देश की पैदावार, गन्ना बदूली .. ध्ायाठ (लाख टन में) (लाख टन में] (लास टन में ९४७ ३८५ द्८ रद १९४८ ४२६ रप रद झन्न समस्या” --खोज परिषद्‌




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