किसानों की समस्याएँ | Kisano Ki Samasyayen
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
103
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किसानों की समस्याएं
किये गये नियर्नण से नियन्त्रण नहीं ल'गू करना दी श्रच्छा है। श्राज
की दालठ में नियन्मणु के सिवा शरीर काई दूसरा राधा नहीं, लैकिन
रास्ते में न छोड़कर इसे वां तक लागू करना चादिये, नदा तक
बास्ठिव में उसकी श्रावश्यकता दे । सरकार इस रास्ते पर उठनी दूर तक
नदीं जाना. चादती, जितनी की उसे चाहिये । फलतः राशनिग श्रौर
तथाकथिउ गर्ल! चसूली, दोरनी कार्मो में सरकार व तक 'श्सफल
रददी दै। इस जरा विसार से इत प्रश्न पर विचार करें। वर्तमान
राशनिंग द्वारा देश की ४१ प्रतिशत श्रावादी की सोजन - ब्पवस्या
की जाती दे, जिवका ब्यौरा इस प्रकार दे ४
९४७
नियमानुसार मिर्घारिव राशनिग (स्टेचुटरी राशनिग) ५ परोड़ ३६ लाख
श्नियमित राशनिग (ननस्टेचुरो राशनिग) ६ करोड़ ९९ जाख
नियंत्रित बिदस्णु (फन्ट्रोल दिस्ट्रीब्यूलन) २ करोड़ ८ लाख
लेकिन चास्वव में यद केवल पहली श्रेणी श्रर्थात् नियमानुसार
निर्वौरिठ राशनिग क्षेत्र के लोगों तक ही सीमित दे, जिनकी बंख्या कुल
शादी का १५.४ प्रतिशत मान दी है । इसमें ८० प्रतिशठ रद के
लोग हैं श्रीर २० प्रतिशव मात्र गांव के । लेकिन इस वतके को खिलाने
के लिये मी, जिनमें ५ करोड़ ३६ लाख श्रादमी श्रा जाते हैं, १२ श्ौत
दर बालिय के दिसाव से हमे ५० लाख टन रास्ले की श्र।वश्यकता पड़ेगी |
सरकार इस माग को गल्ला बनी तथा! वाद, से शनाज मंगर कर इस
म्रकार पूरी करती है :--
देश की पैदावार, गन्ना बदूली .. ध्ायाठ
(लाख टन में) (लाख टन में] (लास टन में
९४७ ३८५ द्८ रद
१९४८ ४२६ रप रद
झन्न समस्या” --खोज परिषद्
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