षटखंडागम - खंड 10 | Satkhandagama Khand 10

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Satkhandagama Khand 10  by डॉ हीरालाल जैन - Dr. Hiralal Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हीरालाल जैन - Heeralal Jain

Add Infomation AboutHeeralal Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भर ८ श्द्र श्चर बे दब जग चुद, चणद, ८७ जर० ही जप ७ झुद्धि-पत्र नानी [पस्तक ९ ] पंख. मयुदध घर १४. पद्यास पल ५० पु ण, घर रे, श. अतुरिस्तिय रूप ब्तुर्म्द्य व पंचेत्विय रूप भ्. प्रस्पेकरारीर पपाप्त ग्रस्पक शरीर ये पपाप्त ९१... डस्कर्पसे दो डत्कर्पसे साधिक दो ११ प्रहण प्रदइण २७. हुए देव व नारकीके हुए ममुप्प थ तियंख के ४०. सपघातन परिशातम शर. दी संपातन दी अपस्प सेघातम २९... जीबोमि तीनों पदोकी जीवों पदोकी २६. पर कम पक्ष समय कम १७. समय सात समय कम सात ३६... संघाठब-परिद्ातम समातन व परिदाराम ्श क्र ५... निपोद व बाइर.. शी्बाम.. सिगोद जीचोंमि १४. संघातम छृटिका संपाठव-परिशातम छतिका थे. सपातम-परिशातम शंपातल व परिघासन मथ . जातकर शानकार ७»... मावकरजकृति माधकृति [ पुस्तक रै* ] २. दम्वद्वणा नइप्वह्ववभा ६. जामथ नामिय २. इसणावरणीयबेणा डसबावरणीयवेयणा १६. योगस्याम योग २५. है उम सोम हैं उनका जसोमें ७. खबिद कम्मंसिय सबिदकम्म॑तिय ८. झपितकर्मादिक्ष: झपित सपितकर्माशिक सपितपेसमान भौर शुणित थ पोलमान पर्माप्त जुलिसभोलमाव सीपाफते पयाप्तमर्षा्ची स मपोाक्षी सपा बहुत हं । 'वेसा गुच्पितर्माशिकर परयाप्तमष बहुत दें। ५९२. झपितकमांशिकक् झपित झसपितचूमादिक सपितपेखिमाम शर गुणित थ भोममाल सपर्षाप्त . गुणितदोश्वमाम सी सपर्पाप्तमर्थोसि भवत्ति शू पचयाएँ दब १३ सपितऋमातिकक सपित इपितकर्मादिक, दापितपासमात मोर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now