सोवणों सफर मोवणा पड़ाव | Sowano Safar Mowana Padaw
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सारे आगूणे खुल्ले मंदान मैं 'टूरिर्ठ हट' भी बण्योडा है, जठ सु नदी रे
प्रवाह नै मैडें सूं देखणे रो मजो लियो जा सरकके । पढलगांव सु ई धमरनाथ
री परप्तिध जातरा तो सर हुवे ई है, दूजा सैलाणी अठें पड़ाव बणार
सोनसर, तारप्तार, लिड्लेट अर कोत्दवाई ग्लेशियर आद भी जाये ।
दि. २३ से तेरस रे दिनुगे दे निक कार्यक्रम सू' लिंपट, चाय नाश्तों
कर'र सामान बाघूयों अर अब्दुल समद ने बुलार थोड़े मार्थ सामान
लादबायो । शुभ जातरा ताई समद ने पाच दपिया नेग रा दिया । आ एक
तरह री बगसोस ही है जवी घोड़े वालां ने संग जातरी देवे । इण सूं
आपसी सदूमाव अर खुलोपण बे । जातरा रो आरम्भ ऊचे कंठा सू'
बाबा घ्रमरनाथ री जय अर “प्रोम नमो शिवाय” र उद्घोप सू' हुवे ।
सैमुदो वातावरण घामिक भाव मर उमाव उत्साह सू* तरगित लागण
लागे । छीटा-बड़ा, मोटियार भर बुढा-ठेरा लोग और लुगायां से प्राय: एक
जिसी वेश भूपा मैं मजिल ताई बढ़ण ने उत्सुक दीर्स । जात-पात, अमीर-
गरीब, घरम, भाषा, अर प्रदेश भ्राद रा सारा वघधन बढ़े आप खतम हू
जावे । एक दूजे सूस बतलठावण करता, निश्छठ भाव सू' मुकाम ताई प्रुगण
ने उत्साह दिरावता लोग श्रापस मैं हेत सू' आगे प्रस्थान करे । राष्ट्रीयता
ही नई' साचे मिनखपणे रो असली रूप अठ देखणने मिले ।
पहलगांव फरवे री लुगायां टाबर आपरे घरां सार्म निकछ'र कमा
हु जावे । वे आदर अर उमग सू' जातरया ने निरखता मुकता दीसे । कद
कदे कोई विचित्रता बाते केई जांवतोडे मैं दोसे तो आपरी मापा बस्त-
बारी में बोलता हसण लागे । नाना टावर हाथ हला'र जांवतोड़ा जातरयां
रो अभिवादन करें । झ्णजाण, झपरियित अर श्रवोध वाठका रो भा
सदुभावना मन ने माय॑ ताई छू जावे । कश्मीरी महिलादां लम्बे चोगे नुमा
कुरतो फिरन अर ढीली सलवार परे । माथे माथे रेशमी रुमाल बांधे ।
अठे चांदी रा गेणां-कर्ण-फूल, हार झादि रो रिवाज धणो है । हिन्दू
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