सोवणों सफर मोवणा पड़ाव | Sowano Safar Mowana Padaw

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Sowano Safar Mowana Padaw by अमरनाथ कश्यप - Amarnath Kashyp

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सारे आगूणे खुल्ले मंदान मैं 'टूरिर्ठ हट' भी बण्योडा है, जठ सु नदी रे प्रवाह नै मैडें सूं देखणे रो मजो लियो जा सरकके । पढलगांव सु ई धमरनाथ री परप्तिध जातरा तो सर हुवे ई है, दूजा सैलाणी अठें पड़ाव बणार सोनसर, तारप्तार, लिड्लेट अर कोत्दवाई ग्लेशियर आद भी जाये । दि. २३ से तेरस रे दिनुगे दे निक कार्यक्रम सू' लिंपट, चाय नाश्तों कर'र सामान बाघूयों अर अब्दुल समद ने बुलार थोड़े मार्थ सामान लादबायो । शुभ जातरा ताई समद ने पाच दपिया नेग रा दिया । आ एक तरह री बगसोस ही है जवी घोड़े वालां ने संग जातरी देवे । इण सूं आपसी सदूमाव अर खुलोपण बे । जातरा रो आरम्भ ऊचे कंठा सू' बाबा घ्रमरनाथ री जय अर “प्रोम नमो शिवाय” र उद्घोप सू' हुवे । सैमुदो वातावरण घामिक भाव मर उमाव उत्साह सू* तरगित लागण लागे । छीटा-बड़ा, मोटियार भर बुढा-ठेरा लोग और लुगायां से प्राय: एक जिसी वेश भूपा मैं मजिल ताई बढ़ण ने उत्सुक दीर्स । जात-पात, अमीर- गरीब, घरम, भाषा, अर प्रदेश भ्राद रा सारा वघधन बढ़े आप खतम हू जावे । एक दूजे सूस बतलठावण करता, निश्छठ भाव सू' मुकाम ताई प्रुगण ने उत्साह दिरावता लोग श्रापस मैं हेत सू' आगे प्रस्थान करे । राष्ट्रीयता ही नई' साचे मिनखपणे रो असली रूप अठ देखणने मिले । पहलगांव फरवे री लुगायां टाबर आपरे घरां सार्म निकछ'र कमा हु जावे । वे आदर अर उमग सू' जातरया ने निरखता मुकता दीसे । कद कदे कोई विचित्रता बाते केई जांवतोडे मैं दोसे तो आपरी मापा बस्त- बारी में बोलता हसण लागे । नाना टावर हाथ हला'र जांवतोड़ा जातरयां रो अभिवादन करें । झ्णजाण, झपरियित अर श्रवोध वाठका रो भा सदुभावना मन ने माय॑ ताई छू जावे । कश्मीरी महिलादां लम्बे चोगे नुमा कुरतो फिरन अर ढीली सलवार परे । माथे माथे रेशमी रुमाल बांधे । अठे चांदी रा गेणां-कर्ण-फूल, हार झादि रो रिवाज धणो है । हिन्दू (४)




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