नैवेद्य | Naivedya

Naivedya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वि . नेवेद्य नमगदशदजनाााणा चेतावनी ! बडुत गयी थोड़ी रही, नारायण अब चेत । काल चिरेया चुगि रददी,निसिद्न आयू खेत ॥ काल्दि करे सो आज कर, आज करे सो अब 1 पलमहँ परले दहोयगी, फेर करेगा कब ॥ रामनासकी लूट है, तूरि सके तो लूट! फिरि पाछे पछितायगा, प्रान जाहिंगे छूट ॥ तेरे भावें जो करो, भलों बुरो संसार ! नारायण तू बैठकर, अपनों भवन बुहदार ॥ चेतावनी [ण




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