पप्पू | Pappu
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पुरुषोत्तम आसोपा - Purushottam Aasopa
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)याहर घास के विनारे लगाए गए नये पौधे के पास मम्मी खडी हैं । उदास
गौर चुपचाप । अपने मे ही घोई हुई-सी । जेसे जो कुछ अपनी भाँखा से देख
रही हैं उसके द्वारा अपने भीतर एक समूचे इतिहास वो दुबारा जी लेना
चाहती हो ।
बंसे तो सब बुछ उनके देखते-देखते घटित हुआ था । प्रमश एव के
याद एव । और मम्मी न अपनी समूची ताकत से उसे रोबमे की लगा-
तार चेप्टा की थी । लेकिन इसके दावजूद सम्मी उसे न तो बदल सवी
थी और न उसे अपने ढप से घटित होते हुए देख सवी ।
बल्कि उनकी इच्छाओ के ठीक विपरीत उद्द निरतर तोडते हुए सब
कुछ घटित हुआ था । और वे कुछ भी नही कर पाइ।
ऐसे समय जब व्यक्त चाहता कुछ और ही है मर उसके सामने
घटित कुछ और ही होता है तो सिवाय निराश होने के वह गर ही कया
सकता है ?
हमारे जीवन मे जाने कितनी आकाक्षाए रोजाना टूटती-खण्डित होती
रहती है।
इन आकाक्षाओ का टूटना कोई इतनी वड़ी बात नहीं बन पाता वि
उसे बहुत ज्यादा तूल दिया जाए । क्योकि यदि ऐसा विया जाने लगे तो
ब्यक्ति को न जाने कितनी बार टूटना पड़े । एकसाथ या वार-बार ।
इसल्ए कई बार ऐसा होता है कि छोटी सी आवाशा वी विफलता
महसूस तो होती है पर केवल बुछ क्षणा के लिए ही ।
निर्चल जल मे जसे ककुर फेंकने पर एक क्षण को जल टूट जाता
है। उसमे हलचल मच जाती है । और फेंके गए कवर को मेद्र बनाकर
पप्यू / १५
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