राजविनोद महकावयम | Rajvinod Mahakavyam

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Book Image : राजविनोद महकावयम  - Rajvinod Mahakavyam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श महसूदवेगड़ा का वंदा-परिचय गुजरात पे राजपुत सुलताना वा मूलपुरुष जिसने इस्ताम धम अगीकार किया था उसका नाम सहारन था । बाद में उसकी उपाधि य उपनाम चसीर-उल-मुह्क हुआ । वह ढक (तक्षक) जातीय सुयव्ो क्षत्रियरँ था इसीलिए गुजरात के इतिहास में इ सके बगाजों का *राजपुत सुलतान' नाम से उल्लेख किया गया हु । भगवान थी रामचद्व जी से कितनी ही पीढ़ियों बाद मुहुस हुआ । उसी के कुल में क्रम से दुलभ, नावत, भूक्त, मदन, भुलाहन, “पीलाहुन, ब्रिलोक, कुमर, दरसप; हरौमन, कुंमरपाल, हरी दर , हरपाल, फिद्वपाल, हरपाल और हरच द हुए । सहारन हरचद का पुम था और थानेदवर फे पास एक गाँव में रहता था । उसके छोटे भाई का साम साधु था । वे दोनो भाई जमोंदारी का काम फरतें थे । एक धार दिल्‍ली फे बादशाह सुहम्मद चुगलक के काका का लड़का शाहुज़ादा फीरोज्ञणाहू शिकार को निकला और अपने साथियों से बिछूड कर सहारन के गाँव के पास जा पहुँचा । उस समय सहारन, उसका छोटा भाई साधु और दूसरे राजपूत एक जगह बठे हुए थे । एक राजपुत नें फोरीश के पर में राजचिट्न पहचान लिया । सहारन जौर साधु उसे अपन घर ल गए और उसका आयत स्वागत क्या । साधु की यहून ने उसे शराब पिलाई मोर उसी की लहर में फोरोश ने अपना परिचय दे दिया । साधु की चहुन और फीरोश को शादी हो गई । त्तदन तर, थे दोनो भाई फीरोशगाह के साथ दिल्‍ली चले गये और इसनाम धम को प्रहण कर लिया । बादताह ने सहारन को यज़ीर उल मुहक का ज़िताब दिया । चजीर उल-मुल्क थे जफरखाँ और दामशेर खाँ नामक दो लड़के हुए । जफर खाँ हो आगे चल पर मुजपफर खान के नाम से इस बच्च का गुजरात का प्रथम शासक हुआ । यादशाह के बहने से सहारन और साधु ने कुतुव उल आफताब हजरत मुखदुम जहानिाँ से इसलाम घम को दीक्षा ली थो । सहारन का पुत्र जफर खाँ भी इ'हीं महात्मा का शिष्य था । एक दिन हज़रत के मठ पर कुछ फकीर इकटठे हुए । उस समय महात्मा सुखदुम के पास खाने पोने का कुछ भी सामान नहीं था । जफर खाँ को यह बात मालूम थी । वह चुरत ही अपने घर से व बाज़ार से मिठाइयां आदि ले आपा और सभो फंकोरों को भोजन करा दिया। फ्फ्रीर। मे त्तप्त होकर जोर से “अल्लाहों अकबर का नारा लगाया । जब मुखदुम जहानिँ को यहू बात मालूम हुई तो उहोंने जफर खाँ को दुल्ावर प्रसघ्नता पूवक कहा “जो तुमने फफीरो को भोजन फराकर तप्त किया हु उसके बदले में म तुम्हें सम्पूण गुजरात को हुकूमत भ्दान करता हूं ।' इस म्रकार जफरलखाँ को फकीर कर वरदान प्राप्त हुआ । *वरास्सहस्रापुमवो जगत्या जागत्यसौ राजभिररचनीय 1 बर्णोपमों यंत्र किलिवनीण श्रीमान्‌ साहि मुदग्फरेड 11१1 राजविनोद-सग २




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