तीर्थगुण माणेकमाला | Tirthgun Manekmala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. श्री माणेकविजय जी गणी - Pt. Shri Manekvijay Ji Gani
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मर मय सूठा पुण्ये पाया, प्रश्न दर्शन थी इ इरस्ायो
उवरधु मब्रपार आदि ॥ ४ ॥
कर्म्म सह जीबोनें दु ख आपे, धर्म्म मधिनां दुःखा कापे
कम्म रद्ति करनार आदि० ॥ ५ ॥|
सीव अनता इण गिरि आषी दि सुख पाम्या फम्म इटावी
कम्मे सचि मुझ टाल. आदि० 1 ६॥
मुक्ति कमठ छे मोइन गार, मधि सीवों ने लागे प्यार
“माणक” प्र आधार ॥ ७ ॥
नानक पक केला
गिरिनार सशन नेसनाय प्रशून स्तथन
( राग-कापी कमछी वाए़े तुमको छाखों प्रजाम )
रैवतगिरिना बासी, नेमि जिननें प्रणाम |
झरभ प्रसुजां जापनु प्पारु, दुगति नें छे इरनार
आपा घ्रणु आज नेमि० ॥ १ ॥।
दिठ धघरि दया प्र्ठ सारि, पश्चुजां ने तीघां उगारी
दी्धां भमय दान नेमि० २ ॥।
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