तीर्थगुण माणेकमाला | Tirthgun Manekmala

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Tirthgun Manekmala by पं. श्री माणेकविजय जी गणी - Pt. Shri Manekvijay Ji Gani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ < ] मर मय सूठा पुण्ये पाया, प्रश्न दर्शन थी इ इरस्ायो उवरधु मब्रपार आदि ॥ ४ ॥ कर्म्म सह जीबोनें दु ख आपे, धर्म्म मधिनां दुःखा कापे कम्म रद्ति करनार आदि० ॥ ५ ॥| सीव अनता इण गिरि आषी दि सुख पाम्या फम्म इटावी कम्मे सचि मुझ टाल. आदि० 1 ६॥ मुक्ति कमठ छे मोइन गार, मधि सीवों ने लागे प्यार “माणक” प्र आधार ॥ ७ ॥ नानक पक केला गिरिनार सशन नेसनाय प्रशून स्तथन ( राग-कापी कमछी वाए़े तुमको छाखों प्रजाम ) रैवतगिरिना बासी, नेमि जिननें प्रणाम | झरभ प्रसुजां जापनु प्पारु, दुगति नें छे इरनार आपा घ्रणु आज नेमि० ॥ १ ॥। दिठ धघरि दया प्र्ठ सारि, पश्चुजां ने तीघां उगारी दी्धां भमय दान नेमि० २ ॥।




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