स्वर्ण किरण | Swarn Kiran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' स्वर्ण किरण
वहिरंतर जड़ चेतन वैभव
संस्कृति में कर निखिल समन्वित !
सहदयत्ता का सागर हो मन
हृदय शिला हो प्रेरणा सरित ,
भू जीवन के प्रति रुचि जन में
मानव के प्रति सानव प्रेरित !
प्राणों के स्तर स्तर में पुलकित
अमर भावनाएँ हों विकसित ,
प्रीति पाद में बँध सुंदरता
काम भीति से हो. अकलंकित !
देव वृत्तियों के संगम में
डूबें चिर. विरोध संघर्षण ,
जीवन के संगीत में अमित
परिणत हो धरती का क्रंदन_!
ऊध्वेंग श्ंगों के समीर को
आओ, साँसों से उर में भर
चिर पवित्रता से हम तन का
समन का पोपण करें सिरंतर !
मुक्त चेतना के प्लावन सा
उमड़ रहा रजतातप निर्भर ,
आज सत्य की बेला वहती
स्वप्नों के पुलिनों के ऊपर !
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