कामना | Kamana

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Kamana by जयशंकर प्रसाद - jayshankar prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अक ९१ दृश्य २ घर की झावश्यकता है । कामना ने सहायता चाही है । सब जाते है । लीला और सन्तोष का प्रवेश लीला-हाँ प्रियतम इस पूर्णिमा को हम लोग एक हो जायेंगे । सन्तोप--परंतु तुम्हारी सखी ता-- लीला--अरे सुना है उसने भी वरण किया है । सन्तोप-- किसे ? वह तो इससे अलग रहा चाहती है. लीला--कोइ समुद्र-पार से आया है | सन्तोप--हाँ आने का समाचार तो मैने भी सुना है पर उस नवागंतुक से क्‍या इस देश की कुमारी ब्याह करेगी ? लीला--क्यो क्या ऐसा नहीं हो सकता ? सन्तोष--अभी तक तो नहीं सुना क्या किसी पुरानी कहानी में तुमने ऐसा सुना है ? लीला--परतु कोई आया भी तो नहीं था । सन्तोप--यह तो ठीक नहीं है । सुना है उसका नाम विलास है । लीला-+ठीक तो नही है पर होगा यही । श्र




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