नेहरु और नै पीढ़ी | Nehru Aur Nayi Pidi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
205
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डी
कषाद सताती थी । लेकिन यट् हालत उयादा दिनों *तक नहीं रही 1 कुछ
फहद तक मैं स्कूल की जिन्दगी में हिल-मिल गया झोर काम तथा सेल-कुद
तमेंप्मशयुल रहने लगा । लेकिन मेरा पूरा मेल कभी नहीं बेठा । हमेशा
पिमिदे दिल में खयाल बना रहता कि मैं इन लोगों में से नहीं हूं भ्रौर दूसरे
फललोग भी मेरी बावत यहीं खयाल करते होगे । कुछ हद तक मैं सबसे
'अलग अ्रकेला ही रहा । लेकिन कुल मिलाकर मैं खेलों मे पूरा-पुरा हिस्सा
कैचेता था । ेलों में चमका-चमकाया तो कभी नही, लेकिन भेरा विश्वास
कहैकि लोग यह मानते थे कि मैं खेल से पीछे हटने वाला भी नहीं था ।
* ९ शुरू में तो मुझे मीचे के दर्जे में भरती किया गया, क्योकि मुमे
सिलिटिन कम झाती थी, लेकिन मुझे फौरन हो तरक्की मिल गई । ग़ालिवन
कई थातों में, भौर खासकर भाम बातों की जानकारी मे, मैं भपनी उम्र
के लोगों से झागे था 1 इसमें शक नहीं कि मेरी दिलचस्पी के विषय
रबहुतेरे ये, श्रौर मैं भपने ज्यादातर सहपाठियों से ज्यादा किताबें भौर
जाइज्बार पढ़ता था । मुख याद है कि मैंने भ्रपने पिता जी को लिखा था
स्ककपरंग्रेज लड़के बड़े मट्ठे होते हैं, बयोकि वे खेलों के सिवा श्ौर किसी
सविषय पर वात हो नहीं कर सकते । लेकिन इसमें मुझे भ्रपवाद भी मिले
' थे; संस तौर पर ऊपर के दर्जी में । ,
.. कडग्लण्ड के झाम चुनाव में मुझे बहुत दिलचस्पी थी । जहाँ तक मुझे
याद हैं, यह चुनाव १६०५ के भ्रलीर में हुमा मोर उसमें लिवरलो की
बडी भारी जोत हुई। १६०६ के शुरू में हमारे दर्जे के मास्टर ने हमसे
नयी सरकार की बाबत सवाल पुद्धे श्रौर मुझे यह देखकर बड़ा श्रचरज
मैडूंपा कि उस दर्जे में मैं ही एक ऐसा लड़का था जो उस विषय पर दहुत्त-
*नसी बातें! बता सका--यहाँ तक कि कंपवेल बैनरमेन के मंत्रिमंडल के
'सर्स्पी की करीब-करीब पूरी फहरिस्त बता दी ।
“राजनीति के भलावा जिस दूसरे विषय में मुझे बहुत दिलचस्पी थी,
1बह या; हवाई जहाजों की, घुरूप्ात । बह जमाना राइट अदर्स भोर संतोष
1'डुमोंट वा था । इनके बाद ही फौरन फरमान ब्लेयम भौर स्लीरियोट
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