भारत में आर्थिक पर्यावरण | Bharat Me Arthik Paryavaran

Bharat Me Arthik Paryavaran by ओ. पी. शर्मा - O. P. Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आर्थिक पर्यावरण - अर्थ तथा आर्थिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्व (५िट0ए0ट काका न स्त्ज्ञापछु घावतें किघ्िटएाड कैत्टिफिशि छ९०9णशा९ छिएियाइ 00161) आर्थिक पर्यावरण (8९०0० छपएप0पताटाा) आज से लगभग चार दर्शक पूर्व पर्यावरण शब्द यदा-कदा ही पढने और सुनने मे आता था। कितु हाल ही के वर्षों मे भारत मे ही नहीं अपितु समूचे विश्व मे पर्यावरण चर्चा का विपय है। विकारा के साथ प्रदूषण बढा है। इसलिए पर्यावरण प्रदूषण तुलनात्मक रुप से अधिक चर्चित है। पर्यावरण बेहद व्यापक है। इसमे आर्थिक, सामज़िक, राजनीतिक, सास्कृतिक आदि घटनाओ को सम्मिलित किया जाता है | मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसकी आवश्यकताए अनत है। मनुष्य को आवश्यकताओं की पूर्ति के वास्ते अनेक आर्थिक क्रियाएं करनी पड़ती हैं । इन आर्थिक क्रियाओं पर वातावरण का प्रभाव पड़ता है। मानव वातावरण की उपज है। आज मनुष्य वातावरण को पक्ष में करने के लिए प्रयासरत है | मनुष्य की आर्थिक क्रियाओ का प्रभाव वातावरण पर भी पड़ता है। बदले परिवेश में आर्थिक पर्यावरण की धारणा महत्त्वपूर्ण हो गई है| आर्थिक पर्यावरण का अर्थ (टवाधाइ 0 एिंपजाठता८ टिफशाणाधादिा) आर्थिक पर्यावरण जटिल अवधारणा है | आर्थिक पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पहला आर्थिक तथा दूसरा पर्यावरण | आर्थिक पर्यावरण को जानने से पूर्व इन दो शब्द! का अर्थ जान लेना आवश्यक है | आर्थिक का ऊर्थ (नटवा एव हिएणाण्णाए) अर्थशास्त्र सीमित साधनों के वितरण तथा रोजगार, आय ओर आर्थिक विकास के निर्धारक त्तत्चो का अध्ययन है। अर्थशास्त्र में उन सब क्रियाओ को सम्मिलित किया




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