सम्यता का इतिहास भाग १ | Hindi Historical Series No I

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Hindi Historical Series No I by सर रमेशचंद्र दत्त - Sir RameshChandra Datt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रू थी ऐ है. ।. इसी प्रकार बरगेस और फसुसभ सादव ने मारतवे की जर चनोने की विचा पर लिखा दे। इस विषय में फगुंसन साइव के झन्थ घामाणिक माने जाते हैं । क योरप में डाक्टर फॉसबोल साहब पाली माषा के अध्ययन की जड़ डालनें वाले कहे जा सकते हैं। उन्होंने खनू १८४५४ में घंम्सः पद को सम्पादित किया था भर उसके उपराम्त जातक की कं* थाभों को प्रकाशित किया है | डाक्टर भोडनबगे ने विनय के पाठो को सम्पादित किया है। और इन विज्वानों ने तथा हाइज़ डेविड्स गौर मेक्ससूखर ने ' सेक्रेड बुक्स आफ दा इस्ट ' नाम की अमूल्य ध्रन्थावली में बौद्ध भ्रन्थों के सब से मुख्य मुख्य भागों का भंगेरज़ी में भनुबाद इम लोगों के सामने उपस्थित किया है । मैं इस प्रन्थाचली के विषय में कुछ कहा चाहता हूं क्योंकि मैं इसका विशेष अनुभ्रद्दीत हूं | प्राचीन हिन्दू साईत्य और इसिदास को स्पष्ट करने के विषय में प्रोफेसर मेक्समूलर साइब ने जीवित विद्वानों में सब से झधिक उपकार किया है । उनका यह विचार बहुत ही उत्तम है कि अंगरज़ी जानने वाले पूवेदेशीय सूख भ्न्थें। के अच्राजुवाद से सहायता ले सकें । ः संस्कृत, ज़न्द, पहच्षवी, पाली, अर्वी आदि के ३० से अधिक अैन्थ इसमें उप चुके हैं तथा भर ग्रन्थों के छपने की आशा की जाती दै। यहां पर मैं यहं कह देना चाहता हूं कि इस प्रम्थावली का में बड़ा ऋणी हूं। मेंने इन श्रन्थों में से बहुत से वाक्य उद्धुत किए हैं और कहीं कहीं पर उनमें पकाघ शब्द का अदछ बदल कर. दिया दे झौर जिन मूल संस्कृत भ्रन्थों का भनुवाद इस पघ्रस्थावकी अर है उन्हें देखने की मुझे बिरलेही कहीं आवश्यकता 1 . मय मैं इस अपनी पुस्तक के विषय में दो चार शब्द कहूंगा मेने झपने मन में कई बेर यह प्रश्न किया है कि झब तक हम को जो सद्दायता मिल सकती दे उससे कया प्राचीन मारतवर्ष की लज्यता का 'दक छोटा सुपप्ट पेतिहास्रिक हत्ास्त लिखा जा खकता हे जो कि .




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